राशि। मकर राशि में गोचर कर रहे शनिदेव तीस साल बाद 29 अप्रैल से कुंभ में आ जाएंगे। इससे मिथुन, तुला से ढय्या समाप्त हो जाएगी व धनु की साढ़े साती उतरेगी। कर्क व वृश्चिक राशि पर ढय्या शुरू हो जाएगी। पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि शनि का 29 अप्रैल को राशि परिवर्तन होगा। ये ग्रह करीब ढाई साल तक एक ही राशि में रहता है। इस तरह तकरीबन 30 साल में फिर से अपनी ही राशि में आ जाता है। शनि देव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं। अभी तक ये मकर राशि में थे और अब 29 तारीख से कुंभ में आ जाएंगे। जिससे साढ़े साती और ढय्या की स्थिति बदलेगी। शनि के राशि परिवर्तन से तीन राशियों को शनि की ढय्या और साढ़े साती से राहत मिलेगी।
शनि के राशि परिवर्तन के साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढय्या शुरू हो जाएगी। इसकी वजह से इन राशियों के लोगों को कड़ी मेहनत करनी होगी। नौकरी और बिजनेस में स्थान परिवर्तन होने के साथ ही रहने की जगह में भी बदलाव होने के योग बनेंगे। शारीरिक परेशानियां भी बढ़ सकती हैं। पैर में चोट लगने या कोई ऑपरेशन होने की भी आशंका रहेगी। इन लोगों को गैरकानूनी कामों से बचना चाहिए। वरना परेशानियां बढ़ सकती हैं।
29 अप्रैल को शनि के कुंभ में आने से मीन राशि वालों पर शनि की साढ़े साती शुरू हो जाएगी। इससे इस राशि के जातकों की परेशानियां बढ़ सकती हैं। साढ़े साती की वजह से कामकाज में रुकावटें आ सकती हैं। अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ेगी। दौड़-भाग ज्यादा होगी और उसका फायदा कम मिलेगा। कर्ज लेने जैसी स्थितियां बनेंगी। पैर में चोट लगने या दुर्घटना होने की आशंका है। संभलकर रहना होगा।
किस राशि पर साढ़े साती का कौन सा चरण रहेगा
शनि देव के कुंभ में आते ही धनु राशि से साढ़े साती खत्म हो जाएगी। वहीं, मकर राशि वालों पर इसका आखिरी चरण रहेगा। कुंभ राशि पर दूसरा और मीन राशि वाले लोगों पर साढ़े साती का पहला चरण शुरू होगा।शनि देव को शास्त्रों में कर्मफलदाता बताया गया है। इसके साथ ही शनि को कलियुग का दंडाधिकारी भी कहा गया है। शनि न्याय के देवता है। भगवान शिव ने शनि देव को यह उपाधि प्रदान की है।पौराणिक कथा के अनुसार शनि की दृष्टि से कोई नहीं बच सकता है। शनि के प्रकोप से मनुष्य ही नहीं स्वयं देवता और प्रेत भी नहीं बच सकते हैं। स्वयं भगवान शिव को भी शनि की दृष्टि के कारण परेशानी उठानी पड़ी थी।
शनि के अशुभ असर को कम करने के उपाय
– शनि के अशुभ असर को कम करने के लिए हर शनिवार शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा है।
– हनुमान जी की पूजा से भी शनि दोष कम होते हैं।
– हर दिन ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का 108 बार जाप करने से भी शनि के अशुभ असर से राहत मिलती है।
– हर शनिवार तेल का दान करें। इसके लिए एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर तेल का दान करें।
– शनिवार को काले तिल, कंबल, काली उड़द, लोहे के बर्तनों का और जूते-चप्पलों का दान भी किया जा सकता है।