27.1 C
Bhopal
Friday, September 20, 2024

एडीजी बोली क्या इनको टॉयलेट करने का हक नहीं, ये है पूरा मामला

Must read

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस में एडीजी अनुराधा शंकर सिंह ने महिला पुलिस के हक में बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि पुलिस सिस्टम में एक्सप्लॉइटेशन (शोषण) होता है। आज से 6-7 साल पहले मंत्रालय भवन में महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं थे। इतने साल बाद भी कुछ नहीं बदला। कुछ दिन पहले मैं वल्लभ भवन पहुंची, तो देखा कि 2019 में बने नए भवन में मुख्यमंत्री कार्यालय के पास महिलाओं के लिए टॉयलेट नहीं है। क्या महिलाओं को टॉयलेट करने का अधिकार नहीं है? दरअसल, अधिकार तो हमें कभी मिले ही नहीं। हम बस ड्यूटी निभाते आ रहे हैं।

 

 

एडीजी अनुराधा शंकर ने पुलिस मुख्यालय ( पीएचक्यू) में गुरुवार को वर्टिकल इंटरएक्टिव वर्कशॉप ‘उड़ान’ में शामिल हुईं। इसमें एडीजी से आरक्षक स्‍तर तक की 100 से अधिक महिला अधिकारी, कर्मचारी मौजूद थीं। अनुराधा शंकर ने कहा कि हम अधिकार की बात करते हैं, कर्तव्य की नहीं। हम कर्तव्य ही करते आ रहे हैं, हजारों साल से। हमें अधिकार मिले ही नहीं। अधिकार की बात शुरू ही नहीं की। संसार में अगर सभी जगह की पुलिस आदर्श है, तो संसार को स्वर्ग हो जाना चाहिए, लेकिन मैंने कहीं स्वर्ग नहीं देखा। रेप होते हैं, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होता है। ऐसे में महिलाओं को ये नहीं सोचना चाहिए कि उन्हें अधिकार मिल गए हैं।

 

 

अनुराधा शंकर ने कहा कि कनाडा की सबसे पहली पुलिस अफसर मेरी मित्र हैं, जो महिला पुलिस अफसरों के लिए सशक्तिकरण की ट्रेनिंग करती हैं। उन्होंने मुझे बताया कि जब पहली बार वो पुलिस में आईं, तो कैसे कनाडा में लोगों ने उन्हें मना किया। उन्होंने कहा कि हमारी लड़कियां जबरदस्त कमिटमेंट के साथ काम कर रही हैं। महिलाओं की पदस्थापना के लिए आज तक नीति नहीं बनी।

एडीजी ने कहा कि किसी भी नीति का निर्धारण लोएस्ट कॉमन डिनॉमिनेटर को ध्यान में रखकर करना चाहिए। यानी कॉन्स्टेबल से लेकर दरोगा के बीच आने वाली हर रैंक को ध्यान में रखकर नीति बनाई जाए। एडीजी ने कहा कि धार में दंगे हुए थे। इस दौरान दो महिला टीआई ने फ्रंट पर रहकर व्यवस्था संभाली। उनका जीवन परिचय बनाकर मैंने पुलिस ट्रेनिंग सेंटर्स पर भेजा, लेकिन उसका एक भी रिएक्शन नहीं आया कि हमें उनसे प्रेरणा मिली।

 

 

 

कार्यक्रम की चीफ गेस्ट रिटायर्ड स्पेशल डीजी अरुणा मोहन राव ने कहा कि महिलाओं के लिए पुलिस में सेवा चुनौतीपूर्ण है, लेकिन स्‍वयं को साबित करने का मौका भी है। पारं‍परिक सोच और पारिवारिक वातावरण के चलते कई बार कुछ चुनौतियां सामने आती हैं, लेकिन दृढ़ निश्‍चय और कुछ अच्‍छा करने की चाहत हमारे मनोबल को मजबूत करती है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नंदितेष निलय ने कहा कि महिलाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या है। उन्हें परिवार का ध्यान रखते हुए नौकरी भी करनी होती है। जरूरी है कि परिवार के लोग उनके प्रति संवेदनशील रहें। उनको समझना चाहिए कि महिलाएं किन कठिन परिस्थतियों में लगातार काम कर रही हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य है कि पुलिस सिर्फ एक फोर्स के रूप में काम न करें बल्कि कम्युनिटी सर्विस और केयरिंग भी उसका चेहरा बने।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News

error: Content is protected !!