ग्वालियर। ग्वालियर में रात गश्त में पकड़े गए दो संदेहियों को छोड़ने के एवज में मांगी 2 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में करीब 9 साल बाद तत्कालीन जनकगंज थाना प्रभारी निर्मल जैन को 2 साल की सजा और सब इंस्पेक्टर को नागेन्द्र सिह भदौरिया को 3 साल की सजा कोर्ट ने सुनाई है। इस मामले में कोई भी पुलिसकर्मी न तो रिश्वत लेते पकड़ा गया था व ही वीडियो वायरल हुआ था। लोकायुक्त के पास मामले की शिकायत की गई थी। जिसमें कोर्ट ने दोनों को षंडयंत्र रचने और साक्ष्य विलोपित करने के मामले में दोनों को दोषी मानकर सजा के साथ ही 6 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है।
दो लोगों को छोड़ने के एवज में रिश्वत मांगने के आरोपी एसआई नागेन्द्र सिंह भदौरिया को विशेष न्यायाधीश आदित्य रावत ने तीन साल की सजा 6 हजार रुपए जुर्माना की सजा दी है। साथ ही इसी मामले में षड़यंत्र रचने और साक्ष्य छुपाने के मामले में तत्कालीन जनकगंज थाना प्रभारी निर्मल जैन को दोषी मानकर दो साल की सजा और चार हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। मामले की शिकायत लोकायुक्त में हुई थी। मामले में लोकायुक्त की ओर से पैरवी लोक अभियोजक राखी सिंह ने की है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में रात गश्त के दौरान रामजी और लल्ला उर्फ कौशलेंद्र को जनकगंज पुलिस ने हिरासत में लिया था। इसे बाद दोनों के छोड़ने के लिए पुलिस ने 2 से ढाई लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी।
इस मामले में संदेहियों के परिजन ने मामले की शिकायत लोकायुक्त में की थी। लोकायुक्त ने जांच कर अफसरो से पूछताछ की थी। इस मामले में रिश्वत का आरोप था और जो-जो बात पीड़ित ने लोकायुक्त में बताई थी वह सच निकली थी, लेकिन फिर भी इस मामले में कोई भी पुलिस सीध रिश्वत लेने नहीं पकड़ा गया था। लोकायुक्त ने 5 अक्टूबर 2013 को इस मामले में कार्रवाई की थी। कोर्ट ने जब मामले को सुना तो दोनों पुलिस कर्मियों को दोषी मानते हुए सजा सुनाई है। इस मामले में जिन दो पुलिसकर्मियाे को दोषी मानकर कोर्ट ने सजा सुनाई है। उनमें से एक तत्कालीन (वर्ष 2013) टीआई जनकगंज निर्मल जैन अब रिटायर्ड हो चुके हैं, जबकि एसआई नागेन्द्र अभी ग्वालियर में ही है।