पन्ना। हीरा नगरी के नाम से मशहूर पन्ना जिले में पलक झपकते ही एक मजदूर लखपति बन गया। झरकुआ गांव के निवासी प्रताप सिंह यादव को बुधवार को खदान में बेशकीमती उज्जवल किस्म का हीरा मिला है। कृष्ण कल्याणपुर की उथली खदान में उन्हें 11.88 कैरेट का हीरा मिला है। इसकी अनुमानित कीमत 60 से 70 लाख रुपए आंकी जा रही है। प्रताप सिंह यादव पन्ना जिला मुख्यालय महज 30 किलोमीटर दूर स्तिथ झरकुआ गांव के निवासी है। खेती एवं मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। कुछ समय पहले उन्होंने कृष्ण कल्याणपुर पटी में खदान की स्वीकृति ली। कड़ी धूप में मेहनत कर हीरे की तलाश की। आखिरकार उनकी किस्मत बुधवार को चमक गई। वह हीरा लेकर कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने हीरा जमा करवा दिया है।
हीरे तीन प्रकार के होते हैं। पहला- उज्ज्वल/जेम, दूसरा- मैलो और तीसरा- मटठो। सबसे ज्यादा भाव जेम क्वालिटी के हीरे को मिलता है। यह बिल्कुल सफेद होता है। सूरत के सराफा बाजार में 8 लाख रुपए औसत एक कैरेट हीरे की कीमत होती है, जो शुद्ध मात्रा में होता है। पन्ना जिले की नीलामी में 4 लाख रुपए औसत बोली लगाई जाती है। यह पूरी तरह शुद्ध नहीं होता। मेलो यानी ब्राउन और मट्ठो यानी काला होता है। मजदूर प्रताप को भी उज्ज्वल किस्म का हीरा मिला है। अब इस हीरे को आगामी नीलामी में रखा जाएगा। जिसके बाद नीलामी में मिलने वाली रकम में से 12 प्रतिशत शासन की रॉयल्टी व 1 प्रतिशत टैक्स काटकर बाकी राशि प्रताप सिंह के बैंक खाते में डाल दी जाएगी। माना जा रहा है कि 60 से 70 लाख रुपए से अधिक में हीरा नीलाम होने पर उसे करीब 50 लाख रुपए मिलेंगे। हीरा पाने वाले प्रताप सिंह यादव का कहना है कि भगवान जुगल किशोर जी की कृपा से उन्हें यह हीरा मिला है। अब परिवार की स्थिति में सुधार आएगा। कुछ धंधा पानी किया जाएगा। बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए अच्छे स्कूलों में पढ़ाएंगे।
पन्ना में सरकारी जमीन का पट्टा पाने के लिए आवदेन फॉर्म भरना होता है। हीरा कार्यालय के लिपिक सुनील कुमार जाटव ने बताया, आवेदन फॉर्म के साथ तीन फोटो, आधार कार्ड की कॉपी और 200 रुपए का बैंक चालान पन्ना की SBI शाखा में जमा करना होता है। चालान की एक कॉपी कार्यालय में भी जमा कराना पड़ती है। इसके बाद 20 दिन के अंदर पट्टा मिल जाता है। निजी जमीन में हीरा खदान चलाने के लिए जमीन मालिक से सहमति और समझौता पत्र, बिक्रीनामा, किरायानामा जरूरी है। 3 फोटो, आधार कार्ड की कॉपी, 200 रुपए का चालान जमा कराने के बाद पट्टा जारी कर दिया जाता है। निजी खदान कहीं भी संचालित तो हो सकती है, लेकिन इलाके का हीरा खनन क्षेत्र के नक्शे में होना जरूरी है।
फॉर्म वगैरह की प्रक्रिया पूरी करने के बाद हीरा कार्यालय 8 बाई 8 मीटर का पट्टा जारी करता है। इसके बाद ठेकेदार खुद या लेबर लगाकर हीरे को खोज सकता है। हीरा पट्टी खदान में तैनात सिद्धी लाल सिपाही ने बताया, मिट्टी को छांटकर बाहर फेंक दिया जाता है। पथरीली मिट्टी को पानी में धोते हैं। इसके बाद सुखाकर इसकी छनाई की जाती है। उसी में से हीरे निकलते हैं जो कि किस्मत और मेहनत का खेल है। हीरा मिलने पर इसे हीरा कार्यालय में जमा कराना होता है। वहां से बाकायदा नीलामी की प्रक्रिया होती है, जिसमें देश के बड़े कारोबारी भाग लेते हैं। वे दाम लगाते हैं। जो दाम तय होता है, उसमें से 12% राशि राजस्व सरकार काट लेती है। शेष रकम हीरा ढूंढने वाले को दे दिए जाते हैं। काटी जाने वाली राशि में 11% रॉयल्टी और 1% TDS होता है। नीलामी की प्रक्रिया हर तीन महीने में एक बार व साल में चार बार कराई जाती है। अखबारों में बाकायदा एड जारी होता है।