भोपाल। भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नाराजगी के बाद सिवनी जिले के पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक को हटा दिया गया है। सिवनी जिले में गोकशी के आरोप में माब लिंचिंग के शिकार हुए आदिवासी युवकों की मौत के मामले में पुलिस ने हत्या के आरोपियों को बजरंग दल और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़ा होना बताया था। संघ ने इस पर आपत्ति की थी, जिसके बाद पुलिस अधीक्षक ने संशोधित बयान जारी कर मामले को संभालने की कोशिश की लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
इंटरनेट मीडिया पर विपक्षी दलों द्वारा पुलिस के विवादास्पद बयान की आड़ में तमाम आरोप-प्रत्यारोप लगाए। सरकार भी इससे नाराज थी। अब सारे मामले की जांच एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) करेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को मामले की समीक्षा की और एसआइटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। वहीं घटना क्षेत्र के कुरई थाना और बादलपार चौकी के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों सहित सिवनी के पुलिस अधीक्षक को हटाने के निर्देश दिए हैं।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों भीड़ ने दो जनजातीय युवकों को गोमांस रखने के शक में पीटपीटकर मार दिया था। सिमरिया गांव की इस घटना को लेकर सियासत शुरू हुई, तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने छह सदस्यीय जांच दल गठित किया था, जो गांव पहुंचा और मृतकों के स्वजनों से मुलाकात की। दल ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट प्रदेश संगठन को सौंपी है। शनिवार को मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर मामले की समीक्षा करते हुए एसआइटी गठित कर 10 दिन में रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डा. राजेश राजौरा के नेतृत्व में एसआइटी गठित की गई है। इसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल अखेतो सेमा और माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव श्रीकांत भनोट भी शामिल हैं। एसआइटी घटना की हर पहलु से जांच के लिए रविवार को सिवनी पहुंचेगी। टीम सीधे सिमरिया गांव, बादलपुरा चौही और कुरई थाने जाएगी और मामले से जुड़े दस्तावेजों का परीक्षण करेगी। वहीं सोमवार को सिवनी सर्किट हाउस में जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करेगी। इसके बाद कलेक्टर, एसपी, एडीएम, आदि के साथ बैठक करेगी।