भोपाल। केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने का एक मौका और दिया है। इस बार 19 लाख 81 हजार किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन कराया था, लेकिन पांच लाख 36 हजार ने ही उपार्जन केंद्रों पर उपज बेची है। किसानों को मंडियों में समर्थन मूल्य से अधिक कीमत मिली है, लेकिन धीरे धीरे अब यह कम हो रही है।
ऐसे में 14 लाख से ज्यादा किसान को कोई नुकसान न हो, इसलिए सरकार ने 31 मई तक गेहूं खरीदने का निर्णय लिया है। इसके लिए किसानों को स्लाट बुकिंग करानी होगी। इसके बिना उपार्जन नहीं किया जाएगा। इंदौर और उज्जौन संभाग में 10 मई को समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद बंद हो चुकी है। भोपाल, नर्मदापुरम, जबलपुर, सागर, रीवा, शहडोल, ग्वालियर और चंबल संभाग में सोमवार को यह अवधि समाप्त हो रही थी। इस बार किसानों को मंडियों में समर्थन मूल्य पर अधिक कीमत मिली, इसलिए उपार्जन केंद्रों पर आवक भी कम रही। दरअसल, मध्य प्रदेश से बड़े पैमाने पर पहली बार गेहूं निर्यात हुआ है लेकिन अब केंद्र सरकार ने इस पर रोक लगा दी है।
इसे देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को उपज बेचने के लिए एक अवसर और देने का निर्णय लिया है। जिन पंजीकृत किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज नहीं बेची है वे चाहें तो स्लाट बुकिंग करा सकते हैं। इसके लिए अब एसएमएस नहीं किए जाएंगे। विभाग लगभग नौ लाख किसानों को पूर्व में एसएमएस कर चुका है। स्लाट बुकिंग के बिना उपज नहीं खरीदी जाएगी। कलेक्टरों से कहा गया है कि वे उपार्जन केंद्रों में खरीदी की व्यवस्था का निरीक्षण कराकर यह सुनिश्चित कराएं कि पात्र किसान को उपज बेचने में कोई परेशान न हो। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस बार सौ लाख टन गेहूं की खरीदी के लक्ष्य के हिसाब से तैयारी की थी लेकिन अभी तक 41 लाख 57 हजार टन उपार्जन ही हुआ है।