गुना। जिले के आरोन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ नेत्र चिकित्सा सहायक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत के बाद मंगलवार सुबह लोकायुक्त पुलिस की दो टीमों ने उनके ख्यावदा कालोनी गुना और घटावदा गांव स्थित घरों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की। इस दौरान टीम ने चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज खंगाले, जिसमें 30-35 लाख रुपये की बेनामी संपत्ति की जानकारी मिल रही है। फिलहाल दोनों टीमें शिकायत के बिंदुओं के आधार पर जांच में जुटी हैं।
जानकारी के मुताबिक बमोरी ब्लाक के बिशनवाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ संविदा डाटा एंट्री आपरेटर हरीश भार्गव ने आरोन में पदस्थी के दौरान अप्रैल 2021 में लोकायुक्त भोपाल में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने नेत्र चिकित्सा सहायक कृष्णपाल सिंह रघुवंशी पर आय से अधिक संपत्ति, बिना लाइसेंस ब्याज का कारोबार, शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार सहित 18 बिंदुओं पर शिकायत दर्ज कराई थी। जिसकी जांच के बाद मंगलवार को ग्वालियर लोकायुक्त डीएसपी प्रद्युम्न पाराशर और डीएसपी योगेश कृपलानी के नेतृत्व में 25 अधिकारी-कर्मचारियों की दो टीमों ने मंगलवार सुबह पांच बजे नेत्र चिकित्सा सहायक कृष्णपाल सिंह रघुवंशी के गुना व पैतृक गांव स्थित घरों पर छापा मारा। इस दौरान टीमों द्वारा रघुवंशी की चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। लोकायुक्त टीआइ राघवेंद्र ऋषीश्वर ने बताया कि अब तक की जांच में आठ बैंक अकाउंट मिले हैं, दो लाकर, गुना, आरोन व पैतृक गांव में मकान और जमीन सहित लगभग 35-40 लाख रुपये की बेनामी संपत्ति की जानकारी मिली है, जिसका दस्तावेजों से मिलान आदि की कार्रवाई जारी है। लोकायुक्त पुलिस ने नेत्र चिकित्सा सहायक कृष्णपाल सिंह रघुवंशी के खिलाफ अपराध कायम कर लिया है।
लोकायुक्त पुलिस के अनुसार नेत्र चिकित्सा सहायक रघुवंशी के दस्तावेजों की जांच के दौरान सामने आया कि उनका एक मकान भोपाल में भी है, जिसकी जांच भी टीम कर रही है। प्रथमदृष्टया लग रहा है कि उन्होंने जितनी आय है, उससे अधिक का इन्वेस्ट किया है। हालांकि, अभी जांच जारी है, जिसके बाद ही वास्तविक स्थिति सामने आ सकेगी।
शिकायतकर्ता संविदा डाटा एंट्री आपरेटर हरीश भार्गव ने बताया कि अप्रैल 2021 में नेत्र चिकित्सा सहायक कृष्णपाल सिंह रघुवंशी की शिकायत की गई थी। इसमें तीन जगह मकान, बेनामी दुकान, कृषि व व्यावसायिक भूमि, लक्जरी गाड़ियां, बिना लाइसेंस ब्याज का कारोबार, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार सहित 18 बिंदु शामिल हैं। क्योंकि, वे 2006-09 तक उन्होंने जननी सुरक्षा योजना, प्रसूति सहायता योजना, रोगी कल्याण समिति और रेगुलर लेखापाल आदि महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। लेकिन इस शिकायत के बाद उल्टे उन्हें ही विभाग की ओर लगातार प्रताड़ना मिल रही है। तबादला तो कभी तनख्वाह रोकने जैसी कार्रवाई की जा रही है।