इंदौर। इंदौर गौरव उत्सव की आखिरी शाम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की जुगलबंदी देखने को मिली। दोनों ने एक-दूसरे के साथ सुर में सुर मिलाते हुए मन्ना डे का गीत नदिया चले, चले रे धारा, तुझको चलना होगा… तुझको चलना होगा…’ सुनाया। शुरुआत सीएम ने की और अंतरे से पहले कहा- कैलाश जी भी सुर मिलाएं। कैलाश विजयवर्गीय तुरंत मंच पर पहुंचे और दोनों ने पूरा गीत साथ गाया। गाने के शौकीन कैलाश विजयवर्गीय का मन एक गीत से नहीं भरा। मंच से उतरते-उतरते वे पलटे और श्रेया घोषाल के पास पहुंचकर एक-दो गीत और गाने की बात कहने लगे। तब मनोज पटेल व गौरव रणदिवे मंच पर आए और शिवराज और विजयवर्गीय को मंच से नीचे लाए। सीएम भी विजयवर्गीय को रुकने का इशारा करते रहे लेकिन वे श्रेया घोषाल के साथ गाना गाने की इच्छा जताते रहे। इस दौरान विजयवर्गीय का माइक भी बंद हो गया था।
इसके बाद मनोज मुंतशिर की रोशनखयाली शुरू हुई। उनके बाद श्रेया घोषाल की गायकी देर रात तक चलती रही। श्रेया की गायकी और मनोज के ओजपूर्ण वक्तव्य ने इस उत्सव का गौरव बढ़ा दिया। मंच पर पहले आए मनोज मुंतशिर। क्या कुछ न था उनकी बतकही में। विवेकानंद की विनम्रता… प्राचीन भारत में स्त्रियों के प्रति सम्मान और देश के लिए मर मिटने वाले वीरों की कहानी… जरा सी देर में मनोज यह सब समेट लाए और ऐसा नहीं कि इतिहास में दर्ज ये बातें पहले सुनी नहीं, पर मनोज मुंतशिर से यह सब सुनना सुकून भरा अनुभव रहा।
आखिरी बार कब कहा था कि मां से तुमसे प्रेम है
मनोज ने शुरुआत की मां अहिल्या पर संवाद से। कहा- लंबे समय तक इंदौर का राजकाज संभालने वाली मां अहिल्या देवी होलकर कैसी विलक्षण स्त्री थीं। अपनी काव्यात्मक शैली में उन्होंने अहिल्यादेवी की न्यायप्रियता, नियमों की सख्ती और प्रजा के लिए वात्सल्य जैसे गुणों का सुंदर बखान किया। उन्होंने कहा कि जब दुनिया में स्त्रियों को वोट देने का भी अधिकार नहीं था तब भारतवर्ष के इस शहर पर मां अहिल्या शासन कर रही थीं। मां अहिल्या के प्रसंग के साथ ही उन्होंने वर्तमान समाज में मां की उपेक्षा को भी मार्मिकता से रेखांकित किया।
आगे उन्होंने कहा- छोड़िए अपनी व्यस्तताएं और आज अभी मां को फोन लगाकर कहिए आप उससे कितना प्रेम करते हैं। बात कीजिए उनसे। निहारिए मां को कुछ देर आपके पास बहुत वक्त होगा पर उसके पास नहीं है। वे बोले बहुत मसरूफ हो तुम समझता हूं, घर-दफ्तर-कारोबार और थोड़ी फुर्सत मिली तो दोस्त यार जिन्दगी पहियों पर भागती है, ठहर के ये सोचने का वक्त कहां है कि माँ आज भी तुम्हारे इन्तजार में जागती है।
बेहद सुरीली रहीं श्रेया, सुनाए एक से एक सुरीले गीत मनोज के बाद मंच पर आईं श्रेया घोषाल। फिल्म बाजीराव मस्तानी के गीत दीवानी मैं दीवानी, मस्तानी हो गई… गीत से एंट्री ली और फिर बहारा, गंगूबाई, शुक्रान अल्लाह जैसे गीत सुनाए। श्रेया लाइव शो में भी बेहद सुरीली हैं, लेकिन श्रेया की जिस मिठास के सुननेवाले कायल हैं, वह इस महफिल में नदारद रही। उनके साथ आए साजिंदे दर्जेदार कलाकार लग रहे थे। हर गीत, बहुत अच्छा था।