भोपाल। शिवराज सरकार ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए समर्थन मूल्य पर चना उपार्जन की तिथि को 7 जून तक बढ़ा दिया है। किसानों की सुविधा को देखते हुए 31 मई तक के लिये उपार्जन की तिथि को एक सप्ताह के लिये और बढ़ाया गया है। मंत्री कमल पटेल ने किसानों से अपील की है कि वे 7 जून तक चने की फसल को समर्थन मूल्य पर विक्रय के लिये निर्धारित स्थान पर ले जाएँ।
वही, राज्य ने दूसरी बार बढ़ाई गई सरकारी खरीद की सीमा भी खत्म हो गई। अंतिम दिन सरकारी खरीद लगभग 46 लाख मीट्रिक टन पर ही सिमट गई। सरकारी मूल्य पर गेहूं बेचने वालों में भोपाल संभाग सबसे आगे रहा। मप्र सरकार को आरबीआई से गेहूं खरीद के लिए 25 हजार करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट मिली थी। खरीद कम होने से सरकार को 8.8 हजार करोड़ रुपए का ही कर्ज लेना पड़ा। इससे सरकार पर सालाना 1215 करोड़ रुपए का ब्याज का भार नहीं आएगा। पिछले साल से 64% खरीद कम होने से खाद्य विभाग को हर माह 75 करोड़ रुपए का किराया प्राइवेट वेयरहाउस को नहीं देना पड़ेगा। सालाना यह बचत 750 करोड़ की होगी। इसे मिलाकर कुल बचत 1,965 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
13 मई को भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मप्र सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद की समय सीमा जो 16 मई को खत्म हो रही थी, को 31 मई कर दिया। इन 15 दिनों में कुल 4 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही सरकारी खरीद केंद्रों में आया। वजह यह है कि निर्यात पर रोक के बाद भी खुले बाजारों में गेहूं का दाम 2015 रुपए क्विंटल के सरकारी रेट से 200 रुपए ज्यादा चल रहा था।
सरकारी खरीद में इस बार केवल 46 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं आने का अनुमान है। खरीद पिछले साल से कम होने से हमें वेयरहाउस का 75 करोड़ रुपए का किराया नहीं देना पड़ेगा। सरकारी गोदाम पहले खरीदे गए अनाज से भरे पड़े हैं।