जमाई जेपी नड्डा को सास ने दी सोने की अंगूठी और कोसे का धोती-कुर्ता उपहार

जबलपुर। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की जबलपुर स्थित ससुराल में आखिरी दिन जमकर खातिरदारी हुई। बंगाली समाज में जमाई पष्ठी की परम्परा है। संयोग से जून माह में यह तिथि पड़ी। नड्डा का ससुराल में स्वजन ने पूजन किया। सास जयश्री बैनर्जी ने खुद इस रस्म को निभाई। उन्होंने चंदन का टीका और फूलमाला पहनाकर दमाद का पूजन किया। उन्हें उपहार में सोने की अगूंठी और कोसे का धोती-कुर्ता उपहार दिया। इसके बाद उनके लिए 25 तरह के व्यंजन तैयार किए गए।

 

 

ज्ञात हो कि एक जून से नड्डा शहर में इस दौरान एक और दो जून का उनका राजनैतिक कार्यक्रम था। वे रात्रि ससुराल में जरूर रुके, लेकिन स्वजन को वक्त नहीं दे पाए, इसलिए उन्होंने आखिरी दिन निजी कार्यक्रम के लिए तय किया। सुबह 11 बजे तक उनका परिवार के लोगों के साथ बाचतीत, चाय-नाश्ते का सिलसिला चला। करीब 12 बजे सास जयश्री बैनर्जी और घर की बहुओं ने षष्ठी पूजन किया। जयश्री बैनर्जी के बड़े बेटे आशीष बैनर्जी ने बताया कि उनके बड़े जमाई रूपनाथ बैनर्जी जबलपुर में रहते हैं, उनका और जेपी नड्डा का चंदन का टीका लगाकर फूल माला पहनाई। इसके पश्चात उन्हें मीठा दही बंगाली मिष्ठान संदेश, रसुगुल्ला खिलाया गया। जमाईयों की पूजन के दौरान मंत्रोच्चारण हुआ। इसके पश्चात उन्हें भेंट दी गई। सभी ने अपनी तरह से भेंट दी।

 

 

जमाई के लिए जयश्री बैनर्जी के परिवार ने खास तैयारी की। दो दिन से घर में रहने के बावजूद वे बाहर ही भोजन कर रहे थे। आखिरी दिन उनके लिए विशेष बंगाली व्यंजन तैयार हुए। 25 तरह के व्यंजन, जिसमें दाल-चावल से लेकर तरह तरह के व्यंजन तैयार हुए। बताया गया कि जयश्री बैनर्जी और उनकी बहुओं ने यह भोजन विशेषतौर

पर तैयार करवाया। भोजन की बड़ी थाली में सभी व्यंजन परोसा गया। इस कार्यक्रम में परिवार के करीबी लोग ही शामिल हुए। दोपहर करीब एक बजे नड्डा को विदाई दी गई। वे सीधे डुमना एयरपोर्ट रवाना हेा गए जहां से दिल्ली के लिए एलायंस एयर की उड़ान से गए।

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