भोपाल । प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों से अल्पावधि कृषि ऋण लेने वाले किसानों को डिफाल्टर होने से बचाने का रास्ता निकालने में सरकार जुट गई है। दरअसल, खरीफ सीजन 2021 का ऋण चुकाने की अंतिम अवधि 28 मार्च 2022 थी, जिसे सरकार ने बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दिया था। किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं, चना, मसूर और सरसों सरकारी उपार्जन केंद्रों पर बेची, पर उसका भुगतान अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस कारण किसान ऋण अदायगी समय पर नहीं कर पाए और डिफाल्टर हो गए। डिफाल्टर किसानों की संख्या लगभग 12 लाख है। प्रदेश में प्रति वर्ष सहकारी समितियों के माध्यम से 35 लाख से अधिक किसान शिवराज सरकार की ब्याज रहित अल्पावधि कृषि ऋण योजना का लाभ लेते हैं। इसके तहत खरीफ और रबी फसलों के लिए ऋण दिया जाता है। खरीफ फसल का ऋण 28 मार्च और रबी फसल का ऋण चुकाने की अंतिम तिथि 15 जून रहती है। सरकार ने इस बार खरीफ फसल का ऋण चुकाने की अवधि 28 मार्च से बढ़ाकर 15 अप्रैल कर दी थी।
इसके बाद भी रिकवरी सभी 38 जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों की 15 अप्रैल 2022 तक 35.41 प्रतिशत ही रही। इसमें अवधि वृद्धि से 6.69 प्रतिशत रिकवरी ही और बढ़ी। बैंकों को किसानों से कुल 19 हजार 417 करोड़ रुपये लेने हैं। किसानों को डिफाल्टर होने से बचाने के लिए सरकार ने ब्याज माफी देने की घोषणा भी की है। इसमें किसानों को मूलधन चुकाना है। इस योजना का खाका तैयार किया जा रहा है। उधर, खरीफ फसल के लिए जिन किसानों ने ऋण लिया था, वे भी डिफाल्डर न हो जाएं, इसके लिए ऋण अदायगी की तारीख बढ़ाई गई थी, लेकिन किसानों को समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के बाद भी अब तक पूरा भुगतान नहीं मिल पाया है।
उल्लेखनीय है कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने चार लाख 90 हजार किसानों का भुगतान किया है, जबकि पांच लाख 72 हजार 154 किसानों ने 44 लाख 45 हजार 937 टन उपज बेची है। इसी तरह एक लाख से अधिक किसान समर्थन मूल्य पर चना बेच चुके हैं। यह राशि किसानों के खातों में जमा नहीं हो पाई, नतीजा ऋण राशि का समायोजन नहीं हो पाया और किसान सहकारी बैंकों के प्रविधान के अनुसार डिफाल्टर हो गए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बैठक में शनिवार को यह मुद्दा उठा तो उन्होंने इसका रास्ता निकालने के निर्देश दिए।
सूत्रों के मुताबिक सहकारिता विभाग ने किसानों को डिफाल्टर होने से बचाने के लिए यह रास्ता निकाला है कि जिन किसानों ने समर्थन मूल्य पर उपज बेच दी है और भुगतान नहीं हुआ है, उन्हें डिफाल्टर नहीं माना जाएगा। ऐसे किसान पंजीयन की तारीख से आगामी सीजन के लिए ऋण लेने के पात्र माने जाएंगे। फायदा यह होगा कि किसानों को समितियों से खाद-बीज के साथ नकद राशि भी पात्रता के अनुसार ब्याज रहित ऋण योजना के अंतर्गत मिल जाएगी। हालांकि, समितियों को ऋण अदायगी की अंतिम तिथि बढ़ाने और जब तक राशि नहीं मिल जाती है, उस दौरान का ब्याज सरकार को वहन करना होगा। बता दें कि अंतिम तिथि बढ़ाने से सरकार पर 70 करोड़ रुपये का भार आया था।