कोरोना के मरीजों के लिये ऑक्सीजन के प्रबंध में जुटे मध्यप्रदेश को केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के हस्तक्षेप की वजह से 50 टन अतिरिक्त ऑक्सीजन उपलब्ध हो गई है। इससे सूबे में ऑक्सीजन की उपलब्धता कुल 180 टन हो गई है। जबकि वर्तमान आवश्यकता 110 टन की है। इससे पहले 130 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति मध्यप्रदेश को हो रही थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गोयल को अतिरिक्त ऑक्सीजन आपूर्ति के लिए धन्यवाद दिया है। चौहान ने कहा है कि किसी को भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। राज्य शासन द्वारा आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली गई हैं जानकारी के मुताबिक मप्र में दो दिन पहले अचानक ऑक्सीजन का संकट सामने आने के बाद राज्य सरकार ने निजी कंपनी आइनॉक्स को प्लांट लगाने के लिए तीन दिन में जमीन आवंटित कर दी है। कंपनी होशंगाबाद स्थित बाबई फार्म में ऑक्सीजन प्लांट लगाएगी। वह 150 करोड रुपये निवेश कर प्रतिदिन 200 टन क्षमता का संयंत्र स्थापित करेगी।प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा संजय शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दो दिन पहले ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आइनॉक्स कंपनी के निवेश प्रस्ताव पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।इसके मद्देनजर सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करते हुए शनिवार को कंपनी को भूमि आवंटन करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। कंपनी छह माह के भीतर प्लांट लगाएगी। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की भंडारण क्षमता भी बढ़ाई जा रही है।
कैसे हो गई कमी ?
इधर मप्र में ऑक्सीजन की कमी व पूर्व तैयारियों को लेकर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। दरअसल हाल में जब महाराष्ट्र सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति रोकने की इत्तिला मप्र को दी तो यहां हडकंप मच गया। चूँकि कोरोनाकाल में ऑक्सीजन की खपत बढ़ी है। अभी रोज करीब 100 टन से ज्यादा ऑक्सीजन अस्पतालों में लग रही है।जबकि प्रदेश में उत्पादन 45 टन ही हो रहा है।राज्य सरकारों ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया क्योंकि इस तरह की जरूरत कभी नहीं आई। बताया जाता है कि मप्र में जुलाई में 40 टन की खपत थी तो अगस्त में 90 टन तक पहुँच गई। सितम्बर में जिस तरह से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, उससे खपत 120 टन से ज्यादा होने के आसार हैं।मध्य प्रदेश में आइनॉक्स कंपनी 20 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति महाराष्ट्र से करती है। /mpsamachar.in
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