भोपाल। एमपी में शराब की कीमतें फिर बढ़ सकती हैं। दरअसल, सरकार शराब के वेयरहाउस में निजी क्षेत्रों की दखलंदाजी बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके लिए दो प्रस्ताव हैं, जिन्हें लागू किया जाता है तो फिर मोनोपॉली बढ़ेगी। दाम मनमाने होंगे। एक प्रस्ताव में वेयरहाउस के प्रबंधन का काम पीपीपी मोड पर देने की बात है, जबकि दूसरे में निजी क्षेत्र की किसी कंपनी को वेयरहाउस सौंपकर उसे मप्र ब्रेवरीज काॅर्पोरेशन के अधीन करने का प्रपोजल है। पहले में रिटेलर को शराब देने का काम सरकार अपने हाथ में रखेगी, जबकि दूसरे में ऐसा नहीं होगा।
सूत्रों का कहना है कि उच्च स्तर पर इस पर जल्द निर्णय हो सकता है। छत्तीसगढ़ में उपरोक्त काम करने वाले कारोबारी की इन कामों के लिए सक्रियता मप्र में बढ़ी है। कमलनाथ सरकार के समय भी वेयरहाउस को निजी हाथों में देने पर विचार हुआ था। भाजपा के सत्ता में आने के बाद फिर ये कवायद हुई है और कुछ अफसर तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु का दौरा करके आए। पीपीपी मोड में विभाग कंपोजिट टेंडर कर सकता है। मप्र में 14 वेयरहाउस हैं
पीपीपी मोड या काॅर्पोरेशन की व्यवस्था में नए वेयरहाउस बनाना और उसे अत्याधुनिक व्यवस्था में चलाने का खर्च निजी संस्था को वहन करना होगा। इस खर्च को निकालने के लिए प्रति नगर शराब के दाम बढ़ेंगे। पिछले सप्ताह मप्र से बाहर और देश के बाहर की फॉरेन लिकर (विदेशी शराब) के लिए 10ए और 10बी को ई-आबकारी पोर्टल पर लाइव कर दिया गया है। यानी इस पोर्टल पर ही रिटेलर को ब्रांड के नाम और ली जाने वाली क्वांटिटी बतानी होगी। रिटेलर इसे निजी व्यवस्था के आगे बढ़ने का संकेत बता रहे हैं।