ग्वालियर। ग्वालियर में शहर की नई नगर सरकार जल्द आकार लेगी, लेकिन पहले भाजपा-कांग्रेस में सभापति को लेकर आखिरी जोड़तोड़ शुरू हो गई है। बाड़ाबंदी से बचाने के लिए भाजपा ने अपने 34 पार्षद दिल्ली भेजने का फैसला लिया है। मंगलवार सुबह यह बस के जरिए दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे। वहां वरिष्ठ नेतृत्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ उनकी बैठक है। असल बात यह है कि अब यह पार्षद परिषद के पहले सम्मेलन 5 अगस्त को सभापति की वोटिंग के समय ही वापस आएंगे।
शहर की नई नगर सरकार जल्द ही आकार लेगी। 5 अगस्त को नगर निगम के पहले सम्मेलन में सभापति का चुनाव होगा और इसके एक सप्ताह के अंदर यानि 12 अगस्त तक महापौर को मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) का गठन करना होगा। एमआईसी कम से कम पांच और अधिकतम दस सदस्यों की हो सकती है। खास बात यह है कि इस बार एमआईसी में अधिकांश चेहरे नए रहेंगे। निकाय चुनाव के इतिहास में 57 साल बाद कांग्रेस की महापौर बनी हैं। ऐसे में मंत्रिमंडल का गठन डॉ. शोभा सिकरवार ही करेंगी।
कांग्रेस के 25 पार्षद चुनाव जीते हैं, तीन निर्दलीय उनके साथ आ गए हैं। इनमें से सिर्फ 2 पुराने चेहरे हैं, शेष सभी पहली बार के पार्षद हैं। ऐसे में एमआईसी में 60 फीसदी चेहरे नए ही रहेंगे। पर इस सबसे पह ले अपना सभापति बनाना दोनों दलों के लिए चुनौती और तनाव भरा रहेगा।
भाजपा को काफी समय से शपथ ग्रहण समारोह का इंतजार था। शपथ होते ही भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व ने सभी 34 पार्षदों को दिल्ली ले जाने का निर्णय कर लिया है। पार्षदों को मंगलवार सुबह लोहिया बाजार से बस के जरिए दिल्ली ले जाया जाएगा। लगातार कांग्रेस के नेता भाजपा के नए जीते या रूठे पार्षदों से नजदीकियां बढ़ा रहे हैं। किसी को सभापति तो किसी को एमआईसी में qसदस्य बनाने का ऑफर दे रहे हैं। इसलिए अब तीन दिन भाजपा के पार्षद दिल्ली में ही रहेंगे। इधर बाड़ाबंदी से बचाने या भाजपा की जोड़तोड़ से सुरक्षित करने कांग्रेस ने भी अपने पार्षदों को शपथ के बाद अंडरग्राउंड कर दिया है। निर्दलीय जीत करने वाले पार्षद भी शपथ लेने के बाद तीर्थ यात्रा पर निकल गए हैं। इससे यह तो साफ है कि 5 अगस्त से पहले यह तीन दिन दोनों दलों के लिए काफी जोड़तोड़ और तनाव भरे हो सकते हैं।
महापौर का चुनाव जीतने से उत्साहित कांग्रेस के नेता अब परिषद पर भी अपना कब्जा करने की तैयारी में हैं। ऐसे में वे सभापति के चुनाव में भी पूरी दम से दावेदारी करेंगे। सभापति के लिए पार्टी पुराने पार्षद विनोद यादव, अवधेश कौरव या उपासना यादव पर दांव लगा सकती है। इसके साथ ही समर्थन देने वाले निर्दलीय या भाजपा के किसी पार्षद पर भी दांव खेल सकते हैं। अब कौन किस करवट बैठेगा, यह तो 5 अगस्त को ही पता चलेगा।