ग्वालियर। पति पत्नी के बीच अलगाव का असर बच्चों पर कितना पड़ता है ऐसा एक मामला हाई कोर्ट में सामने आया है जहां एक बच्चे को उसकी दो बहनें होते हुए भी रक्षाबंधन पर राखी बंधवाने का मौका नहीं मिला है। बेटा पिता के पास ग्वालियर रहता है तो मां उत्तर प्रदेश के इटावा में अपनी दो लड़कियों के साथ रहती है। मां ने पूर्व में अपने बेटे को हासिल करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई थी लेकिन हाईकोर्ट ने महिला की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि वह अपने पिता के पास है।
इस पर महिला ने कहा कि बच्चे की दो बड़ी बहने हैं लेकिन पिता बेटे को बहनों के पास नहीं जाने देते हैं। जिसके कारण भी रक्षाबंधन जैसे पर्व को बहनें अपने भाई के साथ नहीं मना सकी हैं। इस पर हाईकोर्ट ने पति को निर्देश दिए हैं कि वह बेटे को लेकर पत्नी के घर यानी उसके मायके रक्षाबंधन पर जाएं और दिन भर बच्चे को उनकी बहनों और मां के साथ रहने दिया जाए।
दरअसल महिला और उसके पति की शादी 2007 में हुई थी लेकिन दोनों छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते थे। इस बीच ये लोग तीन बच्चों के माता पिता बन गए ।लेकिन जब संबंध ज्यादा गहरा गए तो बेटियों के साथ मां इटावा चली गई। यह घटना 2017 की है तब से ही बहनें अपने माता-पिता के कारण भाई को राखी नहीं बन पा रही है ।अब कोर्ट ने आदेश दिया है कि पिता बच्चे को लेकर रक्षाबंधन पर उसकी बहनों के पास जाएगा। इससे पहले भी कोर्ट ने महीने में एक बार बच्चे को उसकी मां और बहनों के पास ले जाने के आदेश दिए थे। लेकिन इसका पालन नहीं किया गया था ।हाई कोर्ट ने इस मामले में समझौते की संभावना देखते हुए इसे मेडिएशन सेंटर भेजा है जहां 22 अगस्त को माता-पिता को साथ बैठकर बातचीत की जाएगी।