नई दिल्ली।अगले कुछ दिनों में भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 19 अगस्त को सुबह 5:30 बजे से उत्तर-पश्चिम और उससे सटे बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्व में कम दबाव का क्षेत्र बन गया है। इस कारण देश के करीब 10 राज्यों में कहीं-कहीं भारी बारिश हो सकती है। इनमें ओडिशा और गोवा मुख्य रूप से शामिल है। वहीं उत्तराखंड में भारी बारिश का दौर जारी है। बीती रात देहरादून में बादल फटने की घटना सामने आई। यहां के मालदेवता में हुई भारी बारिश के कारण 7 घर बह गए वहीं सौंग नदी पर बना पुल टूट गया। यहां जानिए अपने प्रदेश के मौसम का हाल
देहरादून में टपकेश्वर महादेव मंदिर के पास क्षेत्र में लगातार बारिश के बाद तमसा नदी उफान पर है। दिगंबर भरत गिरि, पुजारी, टपकेश्वर महादेव मंदिर ने बताया, मंदिर में पानी पूरी ताकत से घुसा। हम प्रार्थना करते हैं कि कोई जान-माल का नुकसान न हो। नदी पर एक पुल था जो पूरी तरह से नष्ट हो गया है। हिमाचल प्रदेश में मंडी के जिला कलेक्टर अरिंदम चौधरी ने बताया, कल रात मंडी के सेगली से हमें बादल फटने की स्थिति की सूचना मिली थी। जब तक हम पहुंचे, एक बड़ा भूस्खलन भी हुआ। सड़क खोलने में पीडब्ल्यूडी मदद कर रहा है। एनडीआरएफ से भी सम्पर्क किया गया है।
भारतीय मौसम विभाग के अनुासर, 20 से 23 तारीख तक ओडिशा में काफी व्यापक वर्षा की संभावना है। इससी दौरान पश्चिम बंगाल, सिक्किम, झारखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, पश्चिमी मध्य प्रदेश में कहीं-कहीं अति वृष्टि हो सकती है। इस बीच, भारत के पश्चिमी हिस्सों में अगले कुछ दिनों में बारिश होने की संभावना है। 20 से 22 अगस्त तक कोंकण और गोवा में, पूर्वी राजस्थान में 23 अगस्त तक, पूर्वी राजस्थान में 22 और 23 अगस्त को और मध्य महाराष्ट्र में 22 अगस्त को गरज के साथ भारी बारिश का अनुमान है। 23 अगस्त तक गुजरात और सौराष्ट्र और कच्छ में भी ऐसा ही मौसम रहने की संभावना है।
पिछले छह साल से जुलाई की गर्मी वैश्विक स्तर पर बीती सदी से अधिक तेवर दिखा रही है। 2016 के बाद से हर साल जुलाई महीने का तापमान 20वीं सदी में इस माह के औसत तापमान से ज्यादा रहा है। इस साल जुलाई 142 साल में छठा सबसे गर्म माह दर्ज हुआ है, यह महीना बीते 46 साल से लगातार सामान्य से अधिक गर्म रिकार्ड हो रहा है। इसी तरह ये लगातार 451वां महीना है, जब तापमान सामान्य से ज्यादा दर्ज किया गया है। नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फार एन्वायर्नमेंटल इन्फार्मेशन (एनसीईआइ) द्वारा जारी आंकड़ों में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।