भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लंपी वायरस को लेकर प्रदेश की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक की। इसमें प्रदेश में अधिकारियों को पशुओं की मृत्यु ना हो सुनिश्चित करने को कहा गया है। बीमारी से प्रभावित जिलों से लगे में अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही अन्य राज्यों से आ रहे पशुओं पर प्रतिबंध लगाने की बात कही। सीएम ने अधिक से अधिक पशुओं के टीकाकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही पशु पालकों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करने को कहा है।
प्रदेश में रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, बैतूल, इंदौर और खण्डवा में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है। धार, बुरहानपुर, झाबुआ में पशुओं में इस बीमारी के लक्षणों की सूचना मिली है। प्रदेश के दस जिलों में सरकारी आकड़ों के अनुसार 2171 पशु इस बीमारी से प्रभावित हुए है। जिनमें से 1717 पशु के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है। अब तक 77 हजार 534 पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है।
लंपी स्किन बीमारी पशुओं की एक वायरस बीमारी है। यह बीमारी जूनोटिक नहीं है। यानी पशुओं से मनुष्य में नहीं फैलती है। इससे प्रभावित अधिकतर पशु दो से तीन सप्ताह में स्वस्थ हो जाते है। लेकिन दुध उत्पादन में कमी कई सप्ताह बनी रहती है। इसमें मृत्यु दर 1 प्रतिशत रहती है। इसकी संक्रामकता 10 से 20 प्रतिशत है।
लंपी वायरस से प्रभावित पशु को बुखार आता है। इसके पूरे शरीर में गांठ, नरम छाले पड़ जाते है। मुंह से लार निकलती है। यह पशुओं में एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है। यह मच्छर-मक्सी से भी फैलती है।लंपी स्किन की बीमारी जुलाई 2019 में एशिया में सबसे पहले बांग्लोदश में सामने आई। इसी साल पश्चिम बंगाल, ओडिशा में इसके केस मिले। इस साल अंडमान-निकोबार समेत पश्चिम और उत्तरी राज्यों में फैली। मध्य प्रदेश में इसके गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से आने की बात बताई जा रही है।