भोपाल। प्रदेश में छह दिन बाद (17 सितंबर) अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादलों से प्रतिबंध हटाया जा रहा है। इसके बाद विभाग स्तर पर मंत्री और जिलों में प्रभारी मंत्री की सहमति से तबादले किए जा सकेंगे। लंबे समय से तबादला कराने की कोशिश में जुटे अधिकारी और कर्मचारी इस बार मौका नहीं चूकना चाहते हैं। क्योंकि प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। आशंका है कि सरकार चुनावों को देखते हुए तबादलों से प्रतिबंध नहीं हटाएगी। क्योंकि तबादलों के दौरान आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है। जिससे सरकार की छवि खराब होती है। इसलिए कर्मचारियों की कोशिश है कि किसी भी तरीके से तबादला हो जाए।
प्रदेश में पिछले चार साल से व्यवस्थित तरीके से तबादले नहीं हो पा रहे हैं। कमल नाथ सरकार में व्यापक स्तर पर तबादले हुए पर कर्मचारी मनचाही जगह ज्यादा समय टिक नहीं पाए। वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण की वजह से तबादले नहीं हो सके। तो वर्ष 2021 में भी हालात ठीक नहीं रहे। इस साल सरकार ने एक से 31 जुलाई तक तबादले करने की घोषणा की थी। इस अवधि को तीन बार बढ़ाकर 31 अगस्त तक तबादले किए गए, फिर भी कर्मचारी संतुष्ट नहीं हुए। क्योंकि कर्मचारियों की भारी मांग के बावजूद अतिवृष्टि, बाढ़ के कारण व्यापक स्तर पर तबादले नहीं हो सके। पिछले सालों की प्रक्रिया से दुखी कर्मचारी इस बार हर हाल में तबादला कराना चाहते हैं।
विभिन्न विभागों को भी रिकार्ड तबादला आवेदन आने की संभावना है। स्कूल शिक्षा, राजस्व, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, नगरीय विकास एवं आवास और वन विभाग में कर्मचारी तबादलों के लिए जरूरी तैयारी में जुट गए हैं।
पदोन्नति न मिलने से भी दुखी जिन कर्मचारियों को पदोन्नति नहीं मिल पा रही है, वह भी इस बार प्रमुखता से तबादला चाहते हैं। दरअसल, ऐसे कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से फैसला होने के बाद प्रदेश में पदोन्नति शुरू हो जाएगी और उनकी पदोन्नति होना है। इसलिए पदोन्नति के साथ मनचाही जगह भी मिल जाएगी पर पदोन्नति में आरक्षण प्रकरण का निर्णय में हो रही देरी की वजह से अधिकारी धैर्य खो चुके हैं और अब तबादला चाहते हैं।