श्योपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जन्म दिवस (17 सितंबर) पर देश को चीता युग की वापसी का उपहार देंगे। अफ्रीकी देश नामीबिया से विशेष बोइंग विमान से लाए जा रहे तीन नर और पांच मादा चीतों को वे देश के दिल मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ेंगे। 75 साल पहले वर्ष 1947 में देश में आखिरी बार चीते देखे गए थे। तत्कालीन राज्य सेंट्रल प्रोविंस एंड बरार (अब छत्तीसगढ़) के कोरिया जिले के जंगल में महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने चीतों का शिकार किया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने चीता प्रजाति को विलुप्त घोषित कर दिया था।
अधिकृत जानकारी के अनुसार शुक्रवार शाम सात बजे नामीबिया की राजधानी विंडहाक एयरपोर्ट से विशेष बोइंग विमान 747 आठ चीतों को लेकर उड़ान भरेगा और शनिवार सुबह छह बजे ग्वालियर उतरेगा। यहां से वायुसेना के तीन हेलिकाप्टरों द्वारा उन्हें कूनो पालपुर लाया जाएगा। पार्क के कोर एरिया में इन आठ चीतों के लिए छह क्वारंटाइन बाड़े बनाए गए हैं। इनमें से दो बाड़ों में दो-दो चीते रखे जाएंगे। इनसे सौ मीटर की दूरी पर हेलिपैड बनाया गया है। यहां पर पौने 11 बजे के आसपास प्रधानमंत्री का हेलिकाप्टर उतरेगा और वे चीतों को क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ेंगे, जहां वे एक महीने रहेंगे। चीतों के साथ नामीबया के विशेषज्ञों का दल भी आ रहा है, जो उनकी देखभाल करेगा और जरूरत पड़ने पर इलाज भी।
तीन महीने बाद देख सकेंगे पर्यटकः पर्यटक लगभग तीन महीने (जनवरी 2023 से) बाद चीतों को देख सकेंगे। एक महीने बाद इन चीतों को क्वारंटाइन बाड़े से निकालकर बड़े बाड़ों में छोड़ा जाएगा। वहां इनके सामने शाकाहारी वन्यप्राणी हिरण-सांभर छोड़े जाएंगे। अगले साल पहले एक नर चीते को जंगल में खुला छोड़ा जाएगा। जब वह जंगल से पूरी तरह परिचित और निडर होकर शिकार करने लगेगा तो एक मादा चीते को और उसके बाद बारी-बारी से अन्य चीतों को छोड़ा जाएगा। सेवानिवृत आइएफएस अधिकारी आरजी सोनी कहते हैं कि अफ्रीकी चीतों को मध्य प्रदेश की आवोहवा में रमने में कोई दिक्कत नहीं है। यहां और वहां के जंगल, खुला क्षेत्र और जलवायु एक जैसे हैं। राजशाही में भी ईरान से कई बार चीते लाकर यहां बसाए गए थे।
चीता मित्रों से बात करेंगेः चीतों को क्वारंटाइन बाड़े में छोड़ने के बाद प्रधानमंत्री उद्यान में मौजूद आसपास के दो सौ चीता मित्रों से बात करेंगे। कराहल में महिलाओं की सभा भीः कराहल में स्व-सहायता समूह की लगभग एक लाख महिलाओं को प्रधानमंत्री संबोधित करेंगे। कलियाबाई और सुनीता आदिवासी से बातचीत भी करेंगे।