इंदौर। इंदौर क्राइम ब्रांच टीआई धनेंद्र सिंह भदौरिया को निलंबित कर दिया गया है। रविवार सुबह इसका आदेश जारी कर दिया गया। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिगणकर ने यह आदेश जारी किया है। इस आदेश में लिखा है कि धनेद्र सिंह भदौरिया थाना प्रभारी अपराध शाखा नगरीय पुलिस इंदौर के विरुद्ध अभद्र व्यवहार एवं अवैध वसूली संबंधी शिकायतें प्राप्त होने के संबंध में तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। इन्हें रक्षित केंद्र संबंद्ध किया जाता है।
भदौरिया 300 करोड़ रुपये कीमती जमीन की हेरफेरा मामले की जांच करने के चलते खुद जांच के घेरे में आ गए हैं। अफसरों को ताक पर रख कर कारोबारी और बिल्डरों को खुद ही नोटिस देने में लगे थे। इस सब क चलते पांच मामलों को लेकर सांसद शंकर लालवानी खुद मुख्यमंत्री से बात चुके थे। इसमें दो प्रकरण छोटा बांगड़दा और निपानिया क्षेत्र के हैं। कुछ केस ऐसे भी हैं, जिनका इंदौर से कोई सम्बन्ध नहीं था, लेकिन टीआई ने सीधे एफआइआर दर्ज कर ली, जिसके चलते रविवार को अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर ने धर्मेंद्र सिंह भदौरिया को सस्पेंड कर दिया।
बिल्डर-कारोबारियों को बना रहे थे टीआई अपना शिकारनिलंबित टीआई धनेंद्र सिंह बड़े लोगों को शिकार बनाते थे और अवेदन पर ही जांच के बगैर प्रकरण दर्ज कर लेते थे। निपानिया और बांगड़दा की जमीनों से जुड़े दो मामलों में भी टीआई ने आला अफसरों को बताए बगैर नोटिस देने शुरू कर दिया था। धनेंद्र सिंह की शिकायत सांसद शंकर लालवानी ने मुख्यमंत्री को की थी। एक मामले में तो उन्होंने गुजरात के दो व्यापारियों को आरोपी बना दिया था। उनकी शिकायत भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं तक भी पहुंची थी।
इसमें दो प्रकरण छोटा बांगड़दा और निपानिया क्षेत्र के हैं। कुछ केस ऐसे भी हैं, जिनका इंदौर से कोई सम्बन्ध नहीं था, लेकिन टीआई ने सीधे एफआइआर दर्ज कर ली, जिसके चलते रविवार को अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर ने धर्मेंद्र सिंह भदौरिया को सस्पेंड कर दिया।
बिल्डर-कारोबारियों को बना रहे थे टीआई अपना शिकार
निलंबित टीआई धनेंद्र सिंह बड़े लोगों को शिकार बनाते थे और अवेदन पर ही जांच के बगैर प्रकरण दर्ज कर लेते थे। निपानिया और बांगड़दा की जमीनों से जुड़े दो मामलों में भी टीआई ने आला अफसरों को बताए बगैर नोटिस देने शुरू कर दिया था। धनेंद्र सिंह की शिकायत सांसद शंकर लालवानी ने मुख्यमंत्री को की थी। एक मामले में तो उन्होंने गुजरात के दो व्यापारियों को आरोपी बना दिया था। उनकी शिकायत भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं तक भी पहुंची थी।