LAC : भारत और चीन में सीमा पर तनातनी को लेकर कोर कमांडर स्तर के छठे चरण की बातचीत के बाद मंगलवार को साझा बयान जारी किया गया.
अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिन्दू’ ने इसे पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापा है. दोनों देशों के संयुक्त बयान में बताया गया है कि सीमा पर भारत-चीन और सैनिकों को भेजना बंद करेंगे.
इसके साथ ही इस बात पर भी सहमति बनी है कि सीमा पर कोई भी पक्ष एकतरफ़ा यथास्थिति को नहीं बदलेगा. दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं कि गतिरोध ख़त्म करने के लिए और बातचीत करने की ज़रूरत है.
सोमवार को सैन्य कमांडर स्तर की हुई बातचीत के बाद साझे बयान में कहा गया है, ”दोनों देशों के नेताओं के बीच बातचीत को और मज़बूत करने पर बनी सहमति को गंभीरता से लागू करने की ज़रूरत है. ग़लतफ़हमियों से बचने की ज़रूरत है और साथ ही सीमा पर सैनिकों की संख्या अब नहीं बढ़ानी है. कोई भी पक्ष सीमा पर एकतरफ़ा यथास्थिति से छेड़छाड़ नहीं करे और ऐसा कोई भी क़दम नहीं उठाया जाए जिससे समस्या जटिल हो. दोनों देशों वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर हालात को स्थिर करने की कोशिश करेंगे.”
दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हैं कि जितनी जल्दी संभव हो सके कोर कमांडर स्तर के सातवें चरण की बातचीत की जाएगी. सीमा पर शांति बहाल करने के लिए कोई ठोस क़दम उठाने की भी बात कही गई है.
छठे चरण की बातचीत 14 घंटे तक चली लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. इस महीने की शुरुआत में मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच जिन पाँच बिंदुओं पर सहमति बनी थी उसी आधार पर कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई.
अख़बार के अनुसार भारत ने बातचीत में टकराव के सभी ठिकानों से चीन को अपने सैनिकों को वापस बुलाने की बात कही. पहली बार कोर कमांडर स्तर की बातचीत में भारतीय विदेश मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव भी मौजूद थे.
हालांकि सीमा पर अब भी हालात पहले के ही तरह हैं. सूत्रों के मुताबिक़ भारत ने यह भी कहा है कि सैनिकों के वापसी पारस्परिक नहीं होगी. भारत ने कहा कि चीन टकराव वाले सभी इलाक़े से अपने सैनिकों को वापस बुलाए.
द हिन्दू का कहना है कि एक नई रणनीतिक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने भारत से लगी सीमा पर अपने एयर बेस को दोगुना कर लिया है।
चीन ने अपनी ताक़त दोगुनी की
ग्लोबल सिक्यॉरिटी कंसल्टेंसी की रिपोर्ट के अनुसार चार नए हेलिपोर्ट का निर्माण कार्य तभी शुरू हो गया था जब मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ भारत का तनाव बढ़ा है.
इस रिपोर्ट के अनुसार डोकलाम प्रकरण के बाद चीन ने अपनी रणनीति बदल ली थी. इसी रणनीति के तहत पिछले तीन सालों में चीन ने अपने एयर फ़ोर्स अड्डों की तादाद दोगुनी कर ली.
रक्षा विशेषज्ञ सिम टैक की तैयार की गई रिपोर्ट में मंगलवार को बताया गया कि चीन के निर्माण परियोजनाओं के अभियान भविष्य की सैन्य क्षमताओं को और मज़बूत करने के लिए है. कहा जा रहा है कि चीन लंबे समय तक भारत के साथ सीमा पर तनाव कायम रखना चाहता है. यह तनाव दो देशों के दायरे से बाहर भी जा सकता है। \