हेल्थ। अनियमित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही, शारीरिक व्यायाम नहीं करने के कारण इन दिनों युवाओं में भी अचानक हार्ट अटैक आने के मामले काफी बढ़ गए हैं। अक्सर हम सुनते हैं कि हार्ट अटैक की समस्या हार्ट ब्लॉकेज के कारण होती ही। हार्ट ब्लॉक एक ऐसी स्थिति है, जब दिल बहुत धीरे-धीरे या असामान्य लय के साथ धड़कता है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार हार्ट ब्लॉकेज तीन तरह के होते हैं। पहला 1st-डिग्री हार्ट ब्लॉक बहुत कम गंभीर होता है और इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं दिखाई देते हैं। इस ब्लॉकेज को होने पर भी मरीज अपनी सामान्य जिंदगी जी सकता है, लेकिन इस ब्लॉकेज के बढ़ने पर परेशानी बढ़ जाती है और 1st-डिग्री हार्ट ब्लॉक होने पर ही मरीज को सावधानी बरतनी शुरु कर देनी चाहिए।
सेकंड-डिग्री हार्ट ब्लॉक कभी-कभी मरीज के परेशानी खड़ी कर सकता है। सेकंड-डिग्री हार्ट ब्लॉक होने पर मरीज को कुछ लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सांस फूलना, पसीना आना, थकान महसूस होना, ब्लड प्रेशर में बढ़ोतरी जैसे कुछ खास लक्षण दिखाई देने लगते हैं। सेकंड-डिग्री हार्ट ब्लॉक होने पर उपचार की जरूरत होती है। कुछ मरीजों को माइनर हार्ट अटैक भी आने की आशंका रहती है।
थर्ड-डिग्री हार्ट ब्लॉक सबसे गंभीर है और कभी-कभी मेडिकल इमरजेंसी हो सकती है। अचानक हार्ट अटैक आने से मरीज की जान भी खतरे में आ जाती है। ऐसे मरीजों में दिल की धमनियां पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है और दिल को खून की सप्लाई प्रभावित हो जाती है। छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, लेटने या बैठने की स्थिति से खड़े होने पर अचानक बहुत चक्कर आना, ब्लड प्रेशर की असामान्य स्थिति
1st-डिग्री हार्ट ब्लॉक होने पर ही यदि मरीज अपनी जीवनशैली में सुधार लाएं और खानपान की आदत में सुधार लाएं तो स्थिति बिगड़ने से रोकी जा सकती है। हार्ट ब्लॉकेज का पता लगने के बाद डॉक्टर की सलाह के बाद हल्की कार्डियो एक्सरसाइज शुरू की जा सकती है। ऐसी स्थिति में मरीज को ज्यादा कठिन कार्डियो एक्सरसाइज नहीं करनी है। इसके अलावा डाइट में फाइबर व प्रोटीन की मात्रा ज्यादा लेना चाहिए और वसायुक्त आहार संतुलित मात्रा में लेना चाहिए।
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