भोपाल। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की Ken-Betwa लिंक परियोजना के विवाद को निपटाने के लिए अब केंद्र सरकार केंद्रीय प्राधिकरण बनाने जा रही है। ये प्राधिकरण दोनों राज्यों के लिए पानी व बिजली के बंटवारे का फैसला करेगा। केंद्र ने दोनों राज्यों की सरकार को दो दिन के अंदर कार्ययोजना भेजने के निर्देश दिए हैं।
केंद्र सरकार के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में मध्य प्रदेश की ज्यादा जमीन व जंगल जा रहा है और डैम भी यहीं बन रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश को प्राथमिकता दी जाएगी।
इस परियोजना के लिए 2005 में एमओयू हुआ था। 45 हजार करोड़ रुपए की इस योजना में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत खर्च वहन करेगी। पन्ना टाइगर रिजर्व में दोधन बांध का निर्माण होने से पार्क की 9000 हैक्टेयर जमीन डूब में जाएगी। वहीं बुंदेलखंड के 17 जिलों में पानी की समस्या हल होगी।
बता दें कि केंद्र को कार्ययोजना भेजने के लिए जल-संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और उत्तरप्रदेश के जल-संसाधन मंत्री डॉ महेंद्र सिंह के साथ वर्चुअल बैठक की।
इस मीटिंग में परियोजना के संबंध में प्रजेंटेशन दिया गया। परियोजना के पूर्ण होने पर दोनों राज्यों को हर साल 10 हजार करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा। केन-बेतवा लिंक परियोजना से 78 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। लगभग 4 लाख 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिये पानी मिल सकेगा। उत्तर प्रदेश को रबी मौसम में 700 एम.सी.एम. पानी उपलब्ध हो सकेगा।