बैतूल। बैतूल के कालापाठा क्षेत्र में बेटियों ने सामाजिक परंपरा की बंदिशों को तोड़ते हुए अपने बुजुर्ग पिता की मौत के बाद न केवल उनकी अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शमशान तक पहुंचाते हुए बेटे बेटियों की खाई को पाटने का काम किया।
यूं कहे कि रुंधे गले और बहते आसुओं के बीच पुरुष प्रधान समाज में बेटियों ने एक उदाहरण पेश कर बता दिया कि बेटा-बेटी समान होते हैं। साबित कर दिया कि बेटे और बेटियां में कोई फर्क नहीं होता है। बेटियों को सामाजिक परंपराओं की बेड़ियों में बंधे रहने की बात अब पुरानी हो गई है। आज की बेटियों ने सामाजिक परम्पराओं की बंदिशों को तोड़ते हुए बेटों को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है।
कालापाठा विकास नगर निवासी कोऑपरेटिव बैंक ऑडिट ऑफीसर जगदीश प्रसाद सक्सेना का निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी अंतिम यात्रा विकास नगर सुयोग कॉलोनी स्थित निजी निवास से मोक्ष धाम तक निकाली गई। उनके बेटे नहीं थे। 2 बेटियां थी। शक्ति सक्सेना और छोटी बहन शैलजा जयसवाल, इन बेटियों ने अपने पिता को कांधा दिया। वहीं दिवंगत जगदीश प्रसाद की नातिन खुशबू और मोना जायसवाल ने मोक्ष धाम में मुखाग्नि दी। इस दौरान मौजूद सभी लोगों की भी आंखें नम थीं। हर शख्स ने बेटियों के हौसले और हिम्मत की सराहना की।