केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान बिल को लेकर किए जा रहे विरोध को विपक्ष की राजनीति बताया है और कहा है कि विपक्षी दल बिल को लेकर किसानों को आधारहीन बातों पर गुमराह कर रहे हैं। कृषि मंत्री ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में बताया कि बिल से न तो कृषि उपज मंडियां खत्म होंगी और न ही इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था समाप्त होगी।
कृषि मंत्री ने कहा कि बिल से किसान को उनकी फसल के दाम की गारंटी फसल बुआई के समय ही मिल जाएगी और इसके लिए किसान ख़रीदार से जो कॉन्ट्रेक्ट करेंगे उसमें सिर्फ कृषि उत्पाद की खरीद फरोख्त होगी, जमीन से ख़रीदार का कोई लेना-देना नहीं होगा। कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को यह भी सहूलियत दी गई है कि अगर वह कांट्रेक्ट तोड़ते हैं तो उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होगी जबकि ख़रीदार कॉन्ट्रेक्ट नहीं तोड़ सकेगा।
MSP को कानूनी तौर पर बिल में लिखने की विपक्षी दलों की मांग पर कृषि मंत्री ने कहा कि MSP कभी भी किसी कानून का भाग नहीं रहा है, यह पहले भी प्रशासनिक फैसला होता था और आज भी प्रशासनिक फैसला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी कह रही है कि MSP को कानूनी तौर पर मान्य किया जा, लेकिन जब 50 साल तक कांग्रेस की सरकार थी तो उन्होंने ऐसा नहीं किया।
कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि मौजूदा कृषि उपज मंडियों पर इस कानून से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला। कृषि उपज मंडियां पहले की तरह काम करती रहेंगी क्योंकि वे राज्य सरकार के अधीन होती हैं। कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार ने सिर्फ किसान की कृषि उपज मंडियों में अपनी उपज बेचने की वाध्यता खत्म की है, अब किसान चाहे तो अपनी उपज कृषि उपज मंडियों में बेचे और अगर बाहर अच्छा दाम मिल रहा है तो बाहर बेचे। उन्होने कहा कि कृषि उपज मंडियों में बेचने पर किसान को टैक्स भी देना पड़ता था लेकिन बाहर फसल बेचने पर कोई टैक्स नहीं चुकना पड़ेगा।
कृषि मंत्री ने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में किसान को अपनी फसल मंडी में बेचने के लिए वाध्य होना पड़ता था और मंडी में बैठे कुछ चुनिंदा 25-30 आढ़तिया बोली लगाकर किसान की उपज की कीमत तय करते थे, कोई दूसरी व्यवस्था नहीं होने पर किसान को मजबूर होकर मंडी में ही माल बेचना पड़ता था। लेकिन अब किसान मंडी के बाहर भी अपनी उपज बेच सकेगा और वह भी अपनी मर्जी के भाव पर।
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