ग्वालियर। कलेक्ट्रेट में एक महिला ने खुद पर केरोसिन उड़ेलकर आत्मदाह का प्रयास किया। इससे वहां मौजूद लोगों में भगदड़ मच गई। आसपास खड़े अधिकारियों ने समय रहते महिला को रोक लिया। 50 से ज्यादा महिलाएं उनके एससी (SC)जाति के प्रमाण-पत्र निरस्त किए जाने से नाराज थीं। उनका कहना था कि हमारे बच्चों को स्कूल और हॉस्टल से निकाल दिया। वहीं सरकारी योजनाओं को भी हमें लाभ नहीं मिल रहा। मामला ग्वालियर के कलेक्ट्रेट ऑफिस का है। मंगलवार को मोंगिया समाज की आदिवासी महिलाएं एकजुट होकर कलेक्टर कार्यालय पहुंची थी। उस समय जनसुनवाई चल रही थी। इसी दौरान एक आदिवासी महिला ने खुद पर केरोसिन उड़ेल लिया। यह देख अधिकारियों ने फुर्ती दिखाते हुए उसके हाथ से केरोसिन की बोतल छुड़ाकर खुदकुशी करने से रोका। इसके बाद महिला जमीन पर लेट गई। साथ आई महिलाएं काफी देर तक हंगामा करती रहीं। अफसरों ने उन्हें समझाइश देकर दोबार फॉर्म भरने का कहा।
कलेक्ट्रेट में आत्मदाह का प्रयास करने वाली सुनीता मोंगिया का कहना है कि पहले प्रशासन ने हमारे गांव की महिलाओं के एससी जाति के प्रमाण-पत्र बनाए थे। कुछ दिन बाद ही उन्हें निरस्त कर दिया गया। 6 महीने से हम कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। हमारी सुनवाई नहीं हो रही। प्रमाण-पत्र निरस्त किए जाने के कारण हमें सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा। हमारे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है। स्कूल वाले बच्चों को पेपर नहीं देने दे रहे हैं। वे बोलते हैं कि जाओ अपना जाति प्रमाण-पत्र लेकर आओ। हमारे बच्चों को स्कूल और हॉस्टल से निकाल दिया गया है।
एसडीएम सीबी प्रसाद ने बताया कि एक आदिवासी महिला ने जनसुनवाई के दौरान अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर सुसाइड करने की कोशिश की थी, लेकिन समय रहते उसे रोक लिया गया है। मैंने महिलाओं से पहले भी बात की थी कि आप लोग मोगिया समाज के है, और आप लोग SC में भी आते हैं। तो मैंने महिलाओं से कहा था कि मैं उनके SC के जाति प्रमाण पत्र बना देता हूं। पहले तो महिलाएं तैयार हो गई थी फिर बाद में मना करने लगी। मैंने इन महिलाओं के पहले भी प्रमाण पत्र बनाए थे, लेकिन जब मैंने जांच की तो पता लगा कि अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र बनाना उचित नहीं है।
महिलाएं ग्वालियर के झांसी रोड थाना इलाके में स्थित सिंधिया नगर पहाड़ी की रहने वाली बताई जा रही है। यहां इनके पचास से ज्यादा परिवार रहते है। उनका कहना है कि वे मोंगिया जाति की है और प्रशासन ने उनके SC के प्रमाण पत्र बनाए थे, लेकिन उनका कहना था कि वे मोंगिया आदिवासी हैं तो उनके प्रमाणपत्र में आदिवासी लिखा जाए। इसके बाद उनके प्रमाण पत्र रद्द कर दिए गए और नए बनाएं नहीं जा रहे। वे 6 महीने से चक्कर लगा-लगाकर परेशान हो रहे हैं।