मुरैना। पहाड़गढ़ से करीब पांच किमी दूरी निरार रोड पर मड़वाली माता के पास सुखोई 30 और मिराज फाइटर प्लेन क्रेश हो गए। इस घटना में एक की मौत और दो के घायल होने की जानकारी मिल रही है। दो पायलेट पैराशूट से उतरे। हालांकि प्रशासन अभी मौके पर पहुंच रहा है। घटनाक्रम के मुताबिक पहाड़गढ़ क्षेत्र के लोगों को जंगल में तेज आवाज सुनाई दी। जब वे मौके पर पहुंचे तो वहां पर एक विमान क्रेश हुआ था और उसमें आग लगी हुई थी। घटना की आधिकारी सूचना इंटरनेट मीडिया पर दी गई है। लेकिन अधिक जानकारी नहीं दी गई है। घटनाक्रम के मुताबिक सुबह पहाड़गढ़ क्षेत्र के लोगों को जंगल में तेज आवाज के साथ धमाका सुनाई दिया। जब लोग मौके पर पहुंचे तो फाइटर प्लेनो में आग लगी हुई थी। घटना की सूचना मिलते ही मौके के लिए पुलिस व प्रशासन के अफसर पहुंच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पहाड़गढ़ क्षेत्र में पहले भी दो मिराज फाइटर प्लेन क्रेश हो चुके हैं। दुर्घटना को लेकर सीएम शिवराज सिंह ने भी टि्वट किया है।
मुरैना के कोलारस के पास वायुसेना के सुखोई-30 और मिराज-2000 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर अत्यंत दुखद है। मैंने स्थानीय प्रशासन को त्वरित बचाव एवं राहत कार्य में वायुसेना के सहयोग के निर्देश दिए हैं। विमानों के पायलट के सुरक्षित होने की ईश्वर से कामना करता हूं।
पहाड़गढ़ से करीब पांच किमी दूरी निरार रोड पर मड़वाली माता के पास सुखोई 30 और मिराज फाइटर प्लेन क्रेश हो गए। इस घटना में एक की मौत और दो के घायल होने की जानकारी मिल रही है। बताया जा रहा है कि दो फाइटरों के भिड़ंत होने के बाद क्रेश होने की घटना करीब 18 साल पहले भी हुई थी। यह दूसरी घटना है। अभी एक प्लेन का मलबा तो जंगल में मिल गया है और दूसरे प्लेन का मलबे की जंगल में तलाश की जा रही है। साथ ही एयरफोर्स की टीम हेलीकाप्टर से मौके पर पहुंच रही है। जिससे इस घटना की जांच की जा सके।
बताया जाता है कि सुखाेई और मिराज के बीच भिड़ंत हुई। इसके बाद एक विमान से दो पायलेट पैराशूट से उतरते हुए लोगों को दिखाई दिए। साथ ही एक के बाडी पार्ट मौके पर बिखरे हुए भी दिखे भिड़ंत के दौरान दोनों फाइटर प्लेन में आग लग गई। जब जंगल में गिरे तो फाइटर प्लेन के पार्ट्स में आग लगी हुई थी। घटना के बाद आसपास क्षेत्र के लोग बड़ी संख्या में मौके पर एकत्रित हो गए। हालांकि मोके पर पहुंचे सुरक्षा अधिकारी उन्हें पास नहीं जाने दे रहे थे।
दोनों ही विमान पहाड़गढ़ क्षेत्र के जंगल में गिरे। इसलिए अधिक हानि नहीं हुई। क्योंकि यदि ये विमान यदि किसी गांव या कस्बे के ऊपर गिरते तो बड़ी जन हानि हो सकती थी। विमान जहां पर गिरे थे, वहां पर भी अधिक पेड़ नहीं थे। केवल छोटी मोटी झाडि़यां ही थी। इसलिए जंगल में भी आग नहीं लगी।
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