ग्वालियर। इस समय शादी विवाह का सीजन चल रहा है। एक से एक वैवाहिक आमंत्रण पत्र लोगों के घरों में पहुंच रहे हैं। लेकिन पूरे ग्वालियर चंबल-अंचल में लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक फूल सिंह बरैया की ओर से वितरित किया जा रहा अपनी बेटी के विवाह का कार्ड। इस कार्ड के जरिए आमंत्रित लोगों से संविधान को बचाने का संकल्प दिलाया जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी के नेता रहे कांशीराम के करीबी सहयोगी रहे इंजीनियर फूल सिंह बरैया अभी कांग्रेस में हैं। आगामी पांच फरवरी को उनकी बेटी निधि का विवाह ग्वालियर में है। इस संमारोह में शामिल होने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित प्रदेश के अनेक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ग्वालियर पहुंच रहे हैं। यह विवाह समारोह उन्होंने कोई मुहूर्त देखकर नहीं, बल्कि इसलिए पांच फरवरी को करना तय किया है। क्योंकि उस दिन गुरु संत रविदास की जयंती है और इस जयंती उत्सव में ही उनकी बेटी निधि और नीरज वर्मा एक दूसरे को पति-पत्नी के रूप में स्वीकार करेंगे।
वही बरैया द्वारा बांटे जा रहे आमंत्रण कार्ड पर कोई धार्मिक चिन्ह या चित्र नहीं है। बल्कि इसके सबसे ऊपर संत रविदास, छत्रपति शाहू जी महाराज, भगवान बुद्ध, महात्मा ज्योतिबा फुले, बाबा साहब अंबेडकर और कांशीराम के चित्र हैं। आमंत्रण पत्र को संकल्प और संघर्ष पत्र के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसमे ऊपर ही तीन संकल्प भी लिखे हैं- भारत का संविधान बचाना है, भारत का लोकतंत्र बचाना है, नागरिकों के हक और अधिकार बचाना है। इसमें कहा गया है। सब इस संकल्प पर कायम रहेंगे, तभी देश बचेगा।बरैया परिवार का यह आमंत्रण पत्र नारों से भरा हुआ है। इसमें सबसे ऊपर लिखा है, सत्य को सत्य और असत्य को असत्य की तरह जानो। इसमें बाबा फुले के शिक्षा, शाहू जी महाराज के सत्ता में भागीदारी और कांशीराम के सत्ता के मुख्यधारा में शामिल होने के कुटेशन लिखे हैं और लिखा है कि स्वाभिमानी लोग ही संघर्ष की परिभाषा समझते हैं। इसके अलावा डॉ आंबेडकर द्वारा कहा गया वह कथन भी उल्लिखित है- भारत की आजादी ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि आजाद भारत को लोकतंत्र हेतु सुरक्षित बनाना आवश्यक है।
इस कार्ड की विषय वस्तु को लेकर फूल सिंह बरैया ने कहा, हम लोग शादी के जरिए ऐतिहासिक संदेश देते हैं और इस समय जब देश खतरे में है। संविधान खतरे में है और लोकतंत्र खतरे में है। हम कार्ड के जरिए इसको लेकर अपने लोगों को जागरुक कर रहे हैं। बरैया बोले कि हाल ही में राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाली तो साफ है कि भारत टूट गया है और उस यात्रा को जो अपार जनसमर्थन मिला, उससे साफ हो गया है कि देशवासी देश तोड़ने से नाखुश हैं और जोड़ने में साथ देना चाहते हैं। हम लोग ऐसा प्रयास बहुत पहले से शादी या अन्य सामाजिक और पारिवारिक आयोजनों के जरिए करते आ रहे हैं। इस बार हमने गुरु रविदास जयंती को चुना, जिनका खुद का संदेश है कि ऊंच नीच न हो और सबको खाने को अन्न मिले तो रविदास प्रसन्न हैं। इसके जरिए हम बराबरी के लिए संघर्ष का संकल्प दिलाना चाहते हैं। बरैया ने कुछ साल पहले अपने बेटे की शादी महात्मा फुले की जयंती पर की थी और उसमें भी कार्ड में इसी तरह के संदेश अंकित थे।