नई दिल्ली। तुर्किये में अब तक 5894 लोगों की मौत की सूचना है। यहां 34,810 लोग घायल हैं। 8000 से अधिक को मलबे से बचाया गया है। कई दशकों बाद आए ऐसे विनाशकारी भूकंप से हालात बेहद भयावह हैं। इमारतें, सड़कें, गाड़ियां समेत हर चीज तबाह हो चुकी है। हर तरफ मलबा ही मलबा नजर आ रहा है। चारों तरफ लाशें दिख रही हैं और उनमें अपनों को तलाशते लोग। मलबे से लगातार शव निकल रहे हैं और सड़कों पर दौड़ती एंबुलेंस, पुलिस के सायरन और पीड़ितों की चीख सारे हालात खुद-ब-खुद बया कर रही हैं। अस्पताल भी घायलों से भरे हुए हैं। राहत एवं बचाव टीमें हर पल मदद में जुटी हैं।
डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या वर्तमान से आठ गुना तक पहुंच सकती है। उसने कहा कि भूकंप के मामलों में अक्सर देखा जाता है शुरुआत में मृतकों व घायलों की जो संख्या आती है, उसमें बाद में तेजी से इजाफा होता है।
डब्ल्यूएचओ ने साथ ही भूकंप के चलते बेघर हुए लोगों के लिए भी चेतावनी दी कि ठंड से उनकी मुश्किलें और अधिक बढ़ सकती है। उधर, तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने भूकंप से प्रभावित देश के 10 दक्षिणी प्रांतों में तीन माह के लिए आपातकाल घोषित किया है। शून्य के आसपास मंडरा रहा तापमान व खराब मौसम बचाव कार्य में बाधा बना हुआ है। भारत समेत दुनियाभर के देशों ने बचाव प्रयासों में सहायता के लिए अपने दलों को भेजा है।