भोपाल। मप्र चिकित्सक महासंघ के बैनर तले स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के डाक्टर आज से बेमियादी हड़ताल पर जा रहे हैं। सरकार उनकी ज्यादातर मांगें पहले ही मान चुकी है, इसके बाद भी डाक्टरों की हठधर्मिता जारी है। वह अधिकारियों से बात करने को भी तैयार नहीं हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने मांगों पर विचार के लिए समिति बनाने की बात कही थी। इसके लिए दो या तीन नाम महासंघ से मांगे थे, पर अभी तक नहीं दिया।
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि डाक्टरों की 2008 की रिकवरी, पदोन्नति, संवर्ग का मुद्दा हल हो चुका है। संवर्ग बना दिया गया है, जिससे नियमित पदोन्नति होती रहे। रिकवरी नहीं की जा रही है। इसके बाद भी डाक्टर जबरदस्ती हड़ताल पर हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधकारियों ने कहा कि पिछले वर्ष विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों का आंदोलन हुआ था, लेकिन सभी के साथ बैठक कर उनकी मांगों पर निर्णय लिया गया है, पर डाक्टर बैठक करने को तैयार नहीं हैं। डाक्टरों ने हड़ताल खत्म नहीं की तो सरकार अत्यावश्यक सेवा प्रबंधन अधिनियम (एस्मा) भी लगा सकती है।
डाक्टरों की हड़ताल को देखते हुए स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने वैकल्पिक व्यवस्था की है। जूनियर डाक्टर, सेवारत पीजी डाक्टर, बंधपत्र के तहत अस्पतालों में पदस्थ डाक्टरों को लगाया गया है। इसके अलावा आयुष्मान भारत योजना के तहत चिन्हित अस्पतालों में आयुष्मान के मरीजों को उपचार मिलेगा। जरूरत पर निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की भी मदद ली जाएगी।