जबलपुर। माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की परीक्षा पहले ही दिन विवादों में उलझ गई। हिंदी का पहला पर्चा रहा। रामपुर परीक्षा केंद्र में उस वक्त गहमागहमी की स्थिति बन गई जब एक ही रोल नंबर के दो परीक्षार्थी परीक्षा देने के लिए पहुंच गए। परीक्षा केंद्र में तैनात पर्यवेक्षक ने दोनों परीक्षार्थियों के एक जैसे रोल नंबर देखे तो भौचक रह गए। तत्काल केंद्राध्यक्ष को अवगत कराया गया। जांच पड़ताल करने के बाद भी जब काफी देर तक ये साबित नहीं हो पाया कि सही परीक्षार्थी कौन है तब आनन-फानन में जिला शिक्षा अधिकारी को मामले से अवगत कराया गया। सूचना पाकर पहुंचे जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल के अधिकारियों से चर्चा की और एक परीक्षार्थी को पात्र बताते हुए परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए दूसरे परीक्षार्थी को बाहर कर दिया। विदित हो कि 12वीं की परीक्षा के लिए शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 100 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। 23 हजार से ज्यादा परीक्षार्थियों ने फार्म भरे थे।
परीक्षा केंद्र को माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा भेजी गई परीक्षार्थियों की सूची व डेटा शीट में दूसरे परीक्षार्थी का नाम नहीं था। माध्यमिक शिक्षा मंडल से स्थिति साफ होने के बाद परीक्षार्थी को परीक्षा से वंचित कर दिया गया। परीक्षा में शामिल होने के लिए परीक्षार्थी गिड़गड़ाता रहा। उसका कहना था कि उसने भी परीक्षा फार्म भरा था प्रवेश पत्र में रोल नंबर ही गलत आया तो इसमें उसकी क्या गलती, लेकिन अधिकारियों ने उसकी एक न सुनी।
बताया जाता है कि रामपुर परीक्षा केंद्र में परीक्षा देने के लिए पहुंचे दोनों परीक्षार्थी स्वाध्यायी (प्राइवेट) परीक्षार्थी के रूप में 12वीं की परीक्षा देने पहुंचे थे। दोनों के नाम तो अलग-अलग थे पर रोल नंबर एक होने के कारण किसे बैठाया जाए ये निर्णय नहीं हो पा रहा था। अंतत: जिला शिक्षा अधिकारी ने मंडल से संपर्क कर एक परीक्षार्थी को पात्र बताकर परीक्षा देने की अनुमति दे दी।
23 हजार ने भरे थे फार्म, 22 हजार ने दी परीक्षा
– 23 हजार 123 नियमित और स्वाध्यायी विद्यार्थियों ने फार्म भरे थे।
– 22 हजार 159 ही परीक्षा में बैठे
– 964 परीक्षार्थी परीक्षा से अनुपस्थित रहे रहे
– 100 परीक्षा केंद्रों में शांतिपूर्ण तरीके से हुई परीक्षा, नकल प्रकरण नहीं मिले।
रामपुर परीक्षा केंद्र में एक ही रोल नंबर के दो परीक्षार्थी पहुंचे थे। डेटाशीट में एक का नाम नहीं था। माध्यमिक शिक्षा मंडल को पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया और एक परीक्षार्थी को पात्र मानते हुए परीक्षा में बैठने की अनुमति प्रदान कर दी।