सिरोंज। सिरोंज में सैकड़ों साल से बंदूक की गोली से आग जलाकर होली जलाने की परंपरा है। जो आज भी बदस्तूर जारी है। धर्माचार्य पंडित नलिनीकांत शर्मा ने बताया कि यह बड़ी होली होलकर राज्य में रावजी की होली कहलाती थी। उस समय भी सूखी घास, रुई रखकर बंदूक से फायर कर आग जलाई जाती थी। उसी आग से होली जलती थी। बाद में होल्कर स्टेट के कानूनगो परिवार ने बंदूक से फायर कर होली जलाई जाने लगी, जो आज भी जारी है।
वर्तमान समय में भी कानूनगो माथुर परिवार इस परंपरा का निर्वाहन कर रहा है। इस परिवार के वंशज महेश माथुर ने एक कथा भी इस संदर्भ में बताई। उन्होंने कहा कि जब सिरोंज में नवाबी शासन आया, तो होली की इस परंपरा पर रोक लगाने का प्रयास किया गया। तब होली के चबूतरे पर घास का एक ठेर (गंज) लगा दिया। जिस पर उनके पूर्वजों ने बंदूक से फायर कर होली जला दी थी। उसके बाद पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा चली आ रही है।
इस साल 6 मार्च की रात 1 बजे होली जलाने का महूर्त निकाला गया था। तय समय पर परंपरा का पालन करते हुए बंदूक से रुई और घास के ढेर पर फायर कर अग्नि उत्पन्न की। फिर इसी आग से होली जलाई। मौके पर मौजूद सिरोंज विधायक ने होली की इस परंपरा का वर्णन किया और उपस्थित लोगों को होली की बधाई दी।