रीवा। पति के भाई को 10 लाख रुपये देने नाराज महिला ने अपने ही ढाई महीने के मासूम को रात में मार डाला। बेटे के शव के साथ मां रातभर सोई और सुबह घरवालों से बोली- बेटे के शरीर में हलचल नहीं है। रात में दूध पीते समय उसे हिचकी आई थी। परिवार वाले बच्चे को डॉक्टर के पास ले गए। जहां बच्चे को मृत घोषित कर दिया। यह कहना है मनगवां थाना प्रभारी निरीक्षक आरके गायकवाड़ का। उन्होंने बताया कि घटना 6 जनवरी की है। बच्चे के पिता प्रकाश गुप्ता ने बताया कि वह तीन भाई हैं। उसने एक भाई राकेश गुप्ता को करीब 10 लाख रुपये जमीन खरीदने के लिए दिए थे। यह बात प्रकाश की पत्नी प्रिया को नागवार गुजरी। प्रकाश बेटा होने के बाद उत्तराखंड के किसी शहर में नौकरी पर चला गया। वह पत्नी को कॉल करता, तो प्रिया एक ही रट लगाए रहती कि अपने भाइयों को पैसा देना बंद कर दो।
इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिको लीगल भोपाल के रिटायर डायरेक्टर डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि मिट्टी के अंदर शव के डीकंपोज का रेश्यो बाहर की अपेक्षा 4 गुना कम होता है। इसलिए शव में मेडिकोलीगल एविडेंस 4 से 6 महीने बाद तक सुरक्षित मिलते हैं। ऐसे में भी पोस्टमॉर्टम करने पर कई तरह की फाइंडिंग मिल सकती है, जो कि मृत्यु के कारण को बता सकती है। बच्चे की मां का कहना है कि दूध पीते समय ठसका लगने के बाद उसकी मौत हुई है, तो अभी भी सांस नली में दूध के पार्टिकल फंसे होने के संकेत मिल जाएंगे। बच्चे को अगर चेहरा और गला दबाकर मारा गया है। उसके शव को दो-तीन महीने पहले जमीन में दफनाया गया है, तो शव को चार महीने बाद भी निकालने पर बच्चे की ठुड्डी, गाल, नाक के ऊपर और गले की स्किन ब्लू (नीली) मिलेगी। इतना ही नहीं, संबंधित नवजात के शव की स्किन और हडि्डयों पर उसके साथ हुई घटना के सबूत सुरक्षित मिलते हैं। ऐसे कई साक्ष्य पोस्टमॉर्टम के दौरान सामने आ सकते हैं, जो कि मौत की वजह का खुलासा कर सकते हैं। बच्चे के पिता प्रकाश की शिकायत पर 28 मार्च को पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में शव निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए रीवा मेडिकल कॉलेज भेजा गया। एफएसएल की टीम ने भी सैंपल लिए। सैंपल को फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा जा रहा है।
मनगवां बस्ती वार्ड क्रमांक 7 में रहने वाले प्रकाश गुप्ता की पांच साल पहले सीधी जिले की रामपुर नैकिन की रहने वाली प्रिया गुप्ता से शादी हुई थी। प्रकाश उत्तराखंड स्थित टाटा मोटर्स कंपनी में कार्य करता है। घर में जरूरत के हिसाब से भाई और मां-बाप को प्रकाश रुपये देता है। यह बात पत्नी को पसंद नहीं है। एक-एक पैसे का हिसाब लेती है। फरवरी 2022 में पत्नी प्रेग्नेंट हुई, तब से अकसर वह प्रकाश को समझाती आ रही है कि अब बेटे के लिए सोचो। उसके लिए पैसे बचाओ। परिवार के लोगों की ऐसे ही मदद करते रहोगे तो बच्चे के लिए क्या बचेगा। अक्टूबर 2022 में पत्नी ने बेटे को जन्म दिया था। बातचीत के दौरान प्रकाश ने कहा कि तुमने ही तो नहीं बेटे को मार दिया। मेरी बात सुनकर पत्नी ने कहा- हां, तंग आ गई थी तुम्हें समझाकर। तुम नहीं समझे तो मार दिया। पत्नी की बात सुन होश उड़ गए। कहने लगी सभी मुझे ताने देते थे कि पति तुम्हारी बात नहीं सुनता है। ताने सुन-सुनकर परेशान हो गई थी। फिर बोली- गुस्से में ऐसा कह दिया।
बच्चे की हत्या की बात कहने के बाद भी प्रकाश ने कई बार पत्नी को फोन किया, ताकि यह समझ सके कि कहीं पत्नी ने गुस्से में आकर ऐसी बात तो नहीं कह दी, लेकिन हर बार उसका एक ही जवाब मिलता कि हां, मैंने ही मारा है उसे…। मैं गुनाहगार हूं, जो करना है करो। कई दौर की बातचीत के बाद प्रकाश को यकीन हो गया कि उसकी पत्नी ने ही बेटे को मार डाला है। इसके बाद उसने परिवार और ससुराल वालों को भी यह बात बताई। 27 मार्च को प्रकाश मनगवां थाने में शिकायत लेकर पहुंचा। पुलिस को उसने ऑडियो क्लिप सौंपकर जांच की मांग की। 28 मार्च को परिजन की मौजूदगी में पुलिस ने मठुलियन बगइचा बस्ती के बगल में स्थित सेगरी नदी के किनारे बच्चे की कब्र खोदवाई। इस दौरान मनगवां तहसीलदार दीपिका पाव, एसडीओपी कृपाशंकर द्विवेदी, थाना प्रभारी आरके गायकवाड़ और सीन ऑफ क्राइम मोबाइल यूनिट के प्रभारी डॉ. आरपी शुक्ला की टीम मौजूद रही। फॉरेंसिक टीम की मौजूदगी में शव का पंचनामा किया गया। फोटोग्राफी कराई गई। शव के अवशेष को फॉरेंसिक जांच के लिए सागर लैब भेजा गया है। कपड़े में लिपटे बच्चे का शव कब्र से निकालने के बाद फॉरेसिंक जांच के लिए टीम ने सैंपल लिया। कब्र से निकालने के बाद शव की फोटोग्राफी कराई गई। जांच के लिए सागर जिले के लैब में सैंपल भेजा गया।