इंदौर। इंदौर के पास ओंकारेश्वर में रविवार को बड़ा हादसा होते-होते बच गया। बांध की देखरेख करने वाली एचएचडीसी कंपनी ने सुबह 11 बजे ओंकारेश्वर बांध से पानी छोड़ दिया। इससे नर्मदा नदी का जलस्तर एकाएक बढ़ गया। उस समय नदी में स्नान कर रहे 30 से श्रद्धालु मंझधार में फंस गए। उन्होंने नदी की चट्टानें पकड़कर अपनी जान बचाई। बाद में नाविक उन्हें बचाने गए। रस्सियों की मदद से उन्हें नाव में बिठाकर किनारे पर लाया गया।
रविवार होने के कारण ओंकारेश्वर में काफी भीड़ थी। कंपनी ने भीड़ की परवाह न करते हुए 11 बजे हूटर बजाया और पानी छोड़ दिया। दूसरे प्रदेशों से आए लोगों को हूटर की जानकारी नहीं थी। इससे वह समझ नहीं सके कि हूटर बजने के बाद बांध का पानी नदी में छोड़ा जाएगा। वे नदी में नहाते रहे। जब अचानक बहाव तेज हो गया तो उनकी जान पर बन आई। नागर घाट पर 30 भक्त नदी में फंसे थे। राहत की बात है कि कोई नदी में नहीं बहा। दस मिनट के भीतर आठ नावों में फंसे लोगों को बाहर निकाला गया और इस तरह उनकी जान बच सकी। इस दौरान पुलिस-प्रशासन की लापरवाही भी साफ नजर आई। ब्रम्हपुरी घाट पर भी छह लोग डूबने लगे थे। उन्हें भी नाविकों ने बचाया।
घटना के प्रत्यक्षदर्शी रणजीत भावरिया ने बताया कि घटना सुबह 11 बजे की है। नदी में पानी कम होने के कारण कई लोग किनारे से 50-60 मीटर अंदर तक स्नान करने चले जाते हैं। रविवार को भी ऐसा ही हुआ। बांध का पानी छोड़े जाने के बाद पानी का जलस्तर बढ़ गया। 30 से ज्यादा लोग नदी में फंसे थे। बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। नाविक उन्हें किनारे पर लाए, तब जाकर उन्होंने राहत की सांस ली। ज्यादातर लोग गुजरात और महाराष्ट्र के हैं। रणजीत ने बताया कि हूटर के अलावा घाटों पर अनाउंसमेंट भी किया जाना चाहिए, ताकि बाहर से आने वाले लोग भी बांध से पानी छोड़े जाने पर सावधान हो सके। घाट पर कंपनी ने कोई चेतावनी बोर्ड भी नहीं लगाया है।तेरह साल पहले देवास के समीप धाराजी में भी भूतड़ी अमावस्या पर बांध का पानी छोड़ने के कारण 15 से ज्यादा लोगों की बहने से मौत हो गई थी। कई लोग किनारे पर सोए थे और नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण वे लोग बह गए थे। इस हादसे के बाद भी बांधों का संचालन करने वाली कंपनियां सबक नहीं ले रही हैं।