नई दिल्ली: सुरीले गानों की बात हो तो हमारे दिमाग में सबसे पहले जिस चेहरे की छवि बनती है वो हैं हमारी स्वर कोकिला. इंडियन सिनेमा का आज जो रूप है और यहां की फिल्मों में गानों की जो मुख्य भूमिका है उसमें लता मंगेशकर का जो योगदान है उसे कौन नकार सकता है. इंडियन क्लासिकल हो या कैबरे सॉग या फिर गम में डूबी किसी नायिका का दर्द, सभी कुछ लता दीदी की आवाज में पूरी तरह ढल जाता है. इसलिए अगर आज हम उन्हें सुरों की देवी का साक्षात रूप कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सुरों की देवी को जान से मारने की साजिश भी हो चुकी है. जी हां 33 साल की उम्र में लता ने इस विश्वासघात को झेला था. आइए जानते हैं अपनी सुरों की जादूगरी करने वाली लता मंगेशकर के 91वें जन्मदिन पर उनके जीवन के बारे में कुछ ऐसी ही खास बातें…
अपनी मधुर आवाज से पिछले कई दशक से संगीत के खजाने में नये मोती भरने वाली लता मंगेशकर 28 सितंबर 1929 को इंदौर में मशहूर संगीतकार दीनानाथ मंगेशकर के यहां पैदा हुईं. दीनानाथ मंगेशकर भी संगीत के बड़े जानकार और थिएटर आर्टिस्ट थे, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को भी बोलना सीखने की उम्र में गाने की शिक्षा देना शुरू कर दी. लेकिन वह भी नहीं जानते थे कि यह काम करके वह अपनी बेटी का नहीं पूरे भारतीय संगीत का भविष्य गढ़ रहे हैं|
बचपन का नाम था लतिका
लता मंगेशकर तीन बहनों मीना मंगेशकर, आशा भोसले, उषा मंगेशकर और एक भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी हैं. उनके बचपन का नाम हेमा था लेकिन एक दिन थियेटर कैरेक्टर ‘लतिका’ के नाम पर उनका नाम लता रखा गया|