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Friday, September 20, 2024

दिल्ली की कंपनी ने लोगों से की 10 करोड़ की ठगी, प्रशासन को भनक तक नहीं

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भोपाल। डेली कलेक्शन और एफडी के नाम पर भोपाल जिले के 4 हजार लोगों से करीब 10 करोड़ रुपए की वसूली कर दिल्ली की कंपनी गायब हो गई है। ठगी की ये राशि इससे ज्यादा भी हो सकती है, क्योंकि रोज नए पीड़ित सामने आ रहे हैं। ठगी के शिकार वे लोग ज्यादा हुए हैं, जो रोजमर्रा का व्यवसाय करते हैं। अब पीड़ित एक-दूसरे से संपर्क कर कलेक्टोरेट में आवेदन जमा कर रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली की सनसाइन इंफ्रा बिल्ड कॉरपोरेशन लिमिटेड में अपनी जमा पूंजी का निवेश किया था। कंपनी बिना भुगतान किए ठगी कर भाग गई है। पीड़ितों ने डीबी स्टार को बताया कि 4 हजार से भी ज्यादा लोग ठगी का शिकार हुए हैं। ज्यादातर लोग एक-दूसरे के माध्यम से संपर्क में आए थे। कंपनी के कर्मचारी अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय रहकर स्थानीय स्तर पर एजेंट बना लेते थे और उनके माध्यम से ही वसूली करते थे। बड़ी संख्या में लोगों ने एफडी भी करवाई थीं। जिसकी रसीद पर डिपॉजिट सर्टिफिकेट लिखा गया है। कई लोगों को तो एफडी भी नहीं मिली। जिन्हें मिली भी तो मैच्योरिटी पूरी होने पर राशि ही नहीं मिली। पैसे जमा करने वाले लोगों को कंपनी द्वारा जो रसीदें दी गई हैं, उन पर न तो पता लिखा है और न ही कंपनी की अधिकृत सील और हस्ताक्षर हैं। 2012 से 2018 तक की रसीदें पीड़ित लोगों के पास हैं। पीड़ितों ने बताया कि तीन साल के डिपॉजिट पर 12% ब्याज देने से संबंधित एक सर्टीफिकेट उन्हें दिया गया था। बड़ी संख्या में लोगों के पास यह रसीदें मौजूद हैं।

 

कोकता निवासी हर गोविंद सराठे ने बताया कि उन्होंने 18 हजार रुपए 18 दिसंबर 2012 को कंपनी में डिपॉजिट

किए थे। मैच्योरिटी 18 दिसंबर 2015 में होनी थी, लेकिन जब राशि वापस लेने के लिए संपर्क किया तो कंपनी का पता नहीं चला। एजेंट भी नहीं मिले। उन्होंने परिचितों के संपर्क में आकर यह राशि कंपनी में जमा की थी।

 

भेल क्षेत्र निवासी वसीम अख्तर ने बताया कि उन्होंने अपने और पत्नी के नाम पर डेढ़ लाख रुपए एजेंट के माध्यम से जमा किए थे। जब राशि लेने के लिए संपर्क किया तो पता चला कि कंपनी भाग गई। एजेंटों से संपर्क किया तो वे भी कंपनी या बाहरी ही ज्यादा थे। कलेक्टोरेट में एक-दो दिन में दस्तावेज के साथ शिकायत करेंगे।

 

भेल क्षेत्र निवासी मुईद खान ने बताया कि दो बार 50-50 हजार और फिर 50 हजार रुपए कंपनी में 2018 में डिपॉजिट किए थे। कुछ समय बीतने के बाद पता चला कि कंपनी भाग गई। पांच साल में कुछ रसीदें तो गुम भी गई हैं। अब ऐसे लोग सामने आ रहे हैं, जिन लोगों के साथ ठगी हुई है।सब मिलकर कलेक्टोरेट में आवेदन लगाएंगे।

 

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