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Friday, September 20, 2024

ग्रहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने संप्रदायिक तनाव फैलने की कोशिश करने वालों को दी ये चेतावनी

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भोपाल। गृहमंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि अकेले खंडवा ही नहीं, पूरे प्रदेश में कोई भी, कहीं भी सांप्रदायिक तनाव अगर पैदा करेगा तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। जो अशफाक की हरकत थी उस पर गौर किया है और उसके साथियों ने जो गैंग टाइप की बना ली थी, उन सब की जानकारी और रिकार्ड खंगाला जा रहा है। इनका अतिक्रमण का भी रिकार्ड खंगाला जा रहा है। सख्त से सख्त कार्रवाई होगी। रासुका लगाकर जेल भेज दिया गया है। यह मध्य प्रदेश हमारा शांति का टापू है। इस तरह की कोई नापाक कोशिश करेगा तो बख्शा नहीं जाएगा।

 

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आने के साथ नेताओं द्वारा विरोधियों पर जुबानी हमले भी तेज होते जा रहे हैं। डा. नरोत्‍तम मिश्रा विपक्षी दल कांग्रेस पर लगातार हमलावर हैं। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के वचन पत्र की सुगबुगाहट के बीच नरोत्‍तम ने इस मुद्दे पर आज फिर कांग्रेस पार्टी और कमल नाथ को घेरा। मंगलवार सुबह मीडियाकर्मियों से नियमित चर्चा के दौरान नरोत्‍तम ने कहा कि जहां तक (कांग्रेस के) ‘वचन पत्र’ की बात है तो पहले एक शब्द चलता था बोल वचन। सो, इस बारे में मैं कहूंगा कि यह कमलनाथ के वोट वचन हैं। हम जब बचपन में पढ़ते थे तो बहुत सारी कापी-किताबों में एक रफ कापी भी होती थी, जिसमें सब लिख लिया जाता था। यह भी रफ कापी बन रही है उनकी। जो भी बोले, करना-धरना कुछ है नहीं, लिखने में क्या बुराई है।

 

ऐसा कहा जा रहा है कि कमल नाथ ने प्रदेश में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के लिए यह सर्कुलर जारी किया है कि वे घरों पर और अपने वाहनों में पार्टी का झंडा लगाएं। इस पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए नरोत्तम ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जो कहते हैं, उनकी नीचे कोई मानता नहीं और आप इस सर्कुलर का भी वही हश्र देखना। इन्होंने एक के बाद एक रैलियों और यात्राओं को जो हरी झंडी दिखाई, उन यात्राओं का हश्र देख लीजिए। वही हश्र इसका होने वाला है। कोई मानता नहीं है, इसलिए सर्कुलर जारी करते हैं।

 

कर्नाटक की तरह मप्र में भी भाजपा नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने के दावों पर नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इसे दिवास्वप्न कहते हैं। इस तरह के स्वर्ग में यह लोग विचरण करते आए हैं यह जिस सरकार में मंत्री थे, वह सरकार इसीलिए चली गई, 42 विधायकों ने बगावत कर दी। राष्ट्रपति चुनाव में एक साथ 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। 28 के उपचुनाव एक साथ हुए हैं मध्यप्रदेश में। यह काला अध्याय उन्हीं की पार्टी का है। अच्छा है, अगर वह हमारी तरफ देखते रहें, वहां भगदड़ के हालात ही रहने वाले हैं।

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