नरसिंहपुर। गोटेगांव में पति के सीने में दर्द होने पर उसे पत्नी ने हाथ ठेला में लिटाया और खुद ठेला ढकेलते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गई। जहां पर चिकित्सकों ने इलाज के बाद उसे जिला अस्पताल नरसिंहपुर रेफर कर दिया। लेकिन स्वजन उसे जिला अस्पताल ले जाने के बजाए फिर हाथ ठेला पर ही घर ले गए। हाथ ठेला पर पति को ले जाती पत्नी का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते ही लोग स्वास्थ्य व्यवस्थाओं व एंबलुेंस सेवाओं पर सवाल उठाने लगे हैं।
दरअसल मामला यह है कि गोटेगांव के बोस वार्ड निवासी राकेश यादव की गुरूवार की दोपहर अचानक तबियत बिगड़ गई। उसे सीने में दर्द होने लगा तो पत्नी ने उसे हाथ ठेला में लिटाया और स्वयं ही हाथ ठेला धकेलते हुए स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गई। बताया जाता है कि गोटेगांव क्षेत्र में 108 एंबुलेंस की सुविधाओं के बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं है। क्योंकि यहां पर निजी एंबुलेंस संचालक अपना मकड़जाल इस तरह से फैलाकर रखे हुए हैं कि जैसे ही उनको मरीजों की जानकारी लगती है तो वह अपना निजी वाहन लेकर पहुंच जाते हैं और अस्पताल लाने के बाद उनसे पैसे की मांग करते हैं। लोगों का कहना है कि पत्नी राकेश के परिवार को भी यही आशंका रही होगी कि यदि उन्होंने एंबुलेंस बुलाई तो उसके पैसे देने होगें। परिवार की आर्थिक स्थिति ऐंसी नहीं है कि वह पैसे देकर एंबुलेंस बुला सकें।
स्वास्थ्य केंद्र में नहीं अच्छे इलाज की सुविधाएं:
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गोटेगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज की अच्छी सुविधाएं नहीं है। केंद्र का नया भवन बन गया है लेकिन यहां इलाज की अच्छी सुविधाओं के लिए आज तक कोई व्यवस्था नहीं हो सकी है। केंद्र में चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों की लंबे समय से बनी है। स्वास्थ्य केंद्र परिसर में निजी एंबुलेंस दिन रात खड़ी रहती हैं। जो यहां से रेफर मरीजों को सीधे जबलपुर लेकर जाती हैं। क्योंकि वहां से कमीशन में मोटी रकम उनको प्राप्त हो रही है। ऐसे एंबुलेंस संचालकों पर अगर प्रशासन कार्रवाई कर देगा तो गरीब व्यक्ति अपने जीवन भर की कमाई लुटाने से बच सकता है और 108 एंबुलेंस की सेवाएं बिना किसी संकोच के लेने लगेगा।