ग्वालियर। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में 44 दिनों में तीन चीतों की मौत के बाद चीता प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों, विशेषज्ञों को चार शावकों की जिंदगी बचाने की फिक्र है। नामीबियाई चीता विशेषज्ञ लारी मार्कर की चीता कंजर्वेशन फंड की रिपोर्ट के मुताबिक शावकों की मृत्युदर 90 प्रतिशत तक होती है। ऐसे में भारत की धरती पर सात दशक बाद जन्म लेने वाले चीता शावकों को बचाने का टास्क सबसे कठिन है।
50 दिन पहले जन्में शावकों को सुरक्षित रखने के लिए बाड़े में उनकी त्रिस्तरीय निगरानी की जा रही है। कैमरा ट्रैप के अलावा अलग से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। जबकि वन कर्मियों द्वारा मैनुअल मानिटरिंग भी की जा रही है। शावकों को सर्वाधिक खतरा उन जंगली प्राणियों से सर्वाधित होता है जो शिकारी प्रवृत्ति के होते हैं। यद्यपि बाड़े में चीता के अलावा सिर्फ शाकाहारी जीव ही हैं फिर भी जंगल होने के कारण निगरानी आवश्यक है। शावकों का जीवन ही इस प्रोजेक्ट का भविष्य तय करेगा। बता दें, 24 मार्च को नामीबिया से लाई गई चीता सियाया(नया नाम ज्वाला) ने पांच नंबर बाड़े में चार शावकों को जन्म दिया था। केंद्रीय वन मंत्री ने 29 मार्च को शावकों के जन्म की सूचना ट्वीटर के माध्यम से दी थी। कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ पीके वर्मा के मुताबिक चारो शावक अपनी मां के साथ 125 हेक्टेयर में फैले बाड़े में ही हैं। जन्म के 50 दिन बाद भी शावक चहल कदमी करते नजर नहीं आए हैं। नेशनल पार्क के अफसरों को उम्मीद है कि जल्द ही कैमरा ट्रैप में शावक चहल कदमी करते नजर आएंगे।
के जीवन चक्र में तीन चरण
शावक: जन्म से 18 महीने तक।
किशोरावस्था: 18 से 24 माह
वयस्क जीवन: 24 महीने और उससे अधिक।
शिकार करना सीखेंगे, डेढ़ वर्ष सुरक्षा मिलेगी मां की सुरक्षा
जन्म के समय शावक अंधे होते हैं। उनकी चीता मां उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है। शावक जब चलने फिरने लगते हैं तब मां चीता उन्हें शिकार के लिए साथ लेकर जाती है। इस दौरान भी उसकी नजर अपने शावकों पर रहती है। मां चीता जन्म के आठ सप्ताह तक शावकों के आसपास किसी भी जानवर को नहीं आने देती है। जन्म से अगले डेढ़ वर्ष तक शावकों की स्वयं ही देखभाल करती है। आठ सप्ताह बाद शावक धीमे-धीमे चलते हैं।
कूनो नेशनल पार्क में जन्में चार शावकों में कितने नर हैं या कितने मादा, यह किसी को नहीं मालूम है। पार्क प्रबंधन के अधिकारी या निगरानी में लगे कर्मचारियों को भी पास जाने की इजाजत नहीं है। दरअसल चीता को दूर से देखने पर लिंग की पहचान करना मुश्किल है। हां यह जरूर है कि वयस्क हो जाने पर नर चीता, मादा की अपेक्षा थोड़े बड़े दिखते हैं। उनका सिर बड़ा होता है।
पार्क में मादा चीता अपने शावकों के साथ बड़े बाड़े में रह रही है। अभी शावकों के पास किसी को जाने की इजाजत नहीं है। कैमरा ट्रैप और सीसीटीवी कैमरों की मदद से भी निगरानी की जा रही है।