इंदौर। इंदौर में उड़ने वाला सांप पकड़ में आया है, ये आपको सुनने में जरुर अजीब लग रहा होगा पर ये सच है। रविवार को एक मकान से इस सांप को रेस्क्यू किया गया। मंगलवार की रात को उसे जंगल में रिलीज किया गया। ये सांप पेड़ों पर रहने वाला है और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाकर चला जाता है, इसलिए कई लोग इसे उड़ने वाला सांप भी बोलते है। लाबरिया भेरू के पास एक मकान की तीसरी मंजिल से रविवार को इसे रेस्क्यू किया गया। यहां रहने वाला परिवार लाबरिया भेरु लकड़ी मंडी से जलाऊ लकड़ी लेकर आया था, उसी थैले में ये सांप निकला। सांप देख परिवार ने स्नेक कैचर महेंद्र श्रीवास्तव को बुलाया। महेंद्र भी इस सांप को देख चौंक गए, क्योंकि ये सांप घने जंगलों में और पेड़ पर पाया जाता है। इस सांप का नाम ब्रॉन्ज बैक ट्री स्नेक है। घर में इस सांप का मिलना उनके लिए भी किसी आश्चर्य से कम न था। बमुश्किल उस सांप का रेस्क्यू किया, क्योंकि ये सांप काफी फुर्तीला होता है। सांप को रेस्क्यू कर वो उसे अपने साथ ले गए। उसे ऑब्जर्वेशन में रखा।
स्नेक कैचर महेंद्र ने बताया कि इस सांप की स्किन दूसरे सांपों के मुकाबले काफी अलग है। ये सांप रात में चमकता है। सामान्य रूप से ऐसा नहीं लगेगा कि इसकी स्किन चमकने वाली है, लेकिन जब सांस लेता है तो उसके साथ ये स्किन चमकीली नजर आती है। वहीं रात में घने अंधेरे में इस सांप की स्किन चमकती है। महेंद्र बताते है कि ये सांप पेड़ों पर रहना पंसद करता है। ये सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाता है, इसलिए लोग इसे उड़ने वाला सांप भी बोलते है। महेंद्र ने मंगलवार को जब सांप को फिर से बाहर निकाला। गर्मी के चलते पहले तो उसे पानी पिलाया। सांप ने भी गर्मी से राहत पाने के लिए खूब पानी पिया, जिसके बाद महेंद्र ने सांप को नल के नीचे ही नहला भी दिया। ये सांप ऊपर से जीतना खूबसूरत नजर आया, उतना ही उसकी नीचे के स्किन भी चमकीली दिखी। ये सांप घरों में न के बराबर ही निकलते है। संभावना है लकड़ी मंडी में जहां से लकडियां लाई गई होगी, उसी में ये सांप भी ट्रैवल करके आ गया होगा, और जिस घर में ये सांप निकला उस थैली में ही ये बैठा होगा।
इस सांप के खाने की बात करें तो ये छोटे जानवर खाता है, ये सांप जहरीला नहीं है, लेकिन छोटे जानकारों का शिकार करता है। स्नेक कैचर ने जिस सांप को पकड़ा वह करीब तीन फीट लंबी फिमेल थी। जिसकी उम्र चार से पांच साल की होगी। मंगलवार रात के वक्त महेंद्र अपने साथियों के साथ जंगल में पहुंचे, जहां इस सांप को प्रकृति में रिलीज कर दिया। हालांकि इसे छोड़ने के लिए ऐसी जगह तलाशी गई, जहां ज्यादा पेड़ हो।