भोपाल। भोपाल। 15 वर्ष से पुराने वाहनों को स्क्रैप पालिसी के तहत स्क्रैप कराने का नियम लागू करने के बाद अब राज्य सरकार 10 वर्ष से ज्यादा पुराने वाहनों की फिटनेस जांच अनिवार्य करने जा रही है। इसके लिए परिवहन विभाग सड़कों पर वाहनों की सघन जांच का अभियान भी चलाएगा। राज्य सरकार इसकी कार्ययोजना बना रही है।
10 वर्ष से ज्यादा पुराने वाहन यदि जांच में अनफिट पाए जाते हैं तो उन्हें सड़कों पर चलने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार निजी कंपनी की सेवाएं लेने पर भी विचार कर रही है। हालांकि अब तक फिटनेट जांच करने वाली कंपनी का चयन नहीं किया जा सका है। तकनीकी विशेषज्ञ कंपनी से ही वाहन की फिटेनस जांच कराई जाएगी। इस नियम का कमर्शियल वाहनों पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। 10 साल बाद फिटनेस सही नहीं पाए जाने पर उनका परमिट भी निरस्त करने की कार्रवाई की जा सकेगी।
बता दें, केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2023 के बाद सभी वाहनों का फिटनेस एटीएस (आटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन) से करने की व्यवस्था की है। मध्य प्रदेश में भी इस तरह की नीति का प्रारूप तैयार किया जा रहा है। पीपीपी मोड पर यह व्यवस्था की जाएगी। परिवहन विभाग के अनुसार अभी तक कमर्शियल वाहनों को आठ साल तक हर दो साल में जबकि अन्य वाहनों को आठ से 15 वर्ष तक हर एक साल में और निजी वाहनों को 15 साल होने पर हर एक साल में फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होता है। बता दें कि प्रदेश में 15 साल पुराने 24 लाख वाहन है। इसमें 16 लाख से ज्यादा दोपहिया हैं, बाकी कार, ट्रैक्टर, बस और ट्रक हैं।
परिवहन विभाग ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में भी सख्ती करने की योजना बना रहा है। अब प्रशिक्षण लेने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस देने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश में निजी कंपनी की मदद से ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल भी खोले जाएंगे।