ग्वालियर। ग्वालियर दो दिन के प्रवास पर आए ज्योतिषपीठ बद्रिका आश्रम के शंकराचार्य जगद्गुरू अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने साफ शब्दों में कहा है कि फिल्म समाज का दर्पण होती है। पर कई बार धार्मिक दृश्य और बोली हिंदू धर्म को ठेस पहुंचाती है। इसके लिए हमने एक धार्मिक नियंत्रण बोर्ड (धार्मिक सेंशर बोर्ड) बनाया है, जो शोध कर रहा है।
फिल्म में कई दृश्य हो सकते हैं, लेकिन चुभने वाले नहीं होने चाहिए। अभी ऐसी फिल्म बन रही हैं जिनमें संवाद व चलचित्र ऐसे हैं जो हिंदू धर्म की भावना व आस्था को खंडित करने वाले हैं। इसी पर हमारी धार्मिक नियंत्रण बोर्ड शोध करेगा। वही फैसला करेगा कि यह दृश्य और संवाद चलने लायक है या नहीं।
शंकराचार्य बोले-मदरसे और गुरुकुल में बहुत अंतर है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने एक सवाल के जवाब में कहा कि मदरसे और गुरुकुल में बहुत अंतर है। गुरुकुल में जो पढ़ाई पढ़ाई जाती है उसमें इस देश का नाम भारत है। इसको मातृभूमि माना गया है। मदरसे में यह नहीं पढ़ाया जाता है। वो लोग वंदे मातरम नहीं कहते। वह सऊदी अरब की ओर नमाज पढ़ते हैं। मैं यह नहीं कहता कि मदरसे बंद होने चाहिए, लेकिन इनमें जो गलत गतिविधि चलती हैं उन पर अंकुश लगना चाहिए।
कथावाचक जब चमत्कार दिखा रहे हैं तो फिर वो अस्पताल बनाने की घोषणा क्यों कर रहे हैं उन्हें तो सबको चमत्कार से ही स्वस्थय कर देना चाहिए ये बात अविमुक्तेश्वारानंद सरस्वती ने उनसे पूछे गए एक प्रश्न के जबाव में कही। जब उनसे पूछा गया कि आज कल कथा वाचक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री बहुत चमत्कार दिखा रहे हैं यह उचित है क्या। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि जिनका नाम आपने लिया है उन्होंने अभी हालही में एक बड़ा अस्पातल बनवाने की घोषणा की है। मेरा जबाव है कि जब चमत्कार से ही सब ठीक हो सकते हैं तो अस्पातल बनवाने की उन्हें क्या जरूरत है। यह उचित है या अनुचित इसे आप स्वंय तय करें।
राममंदिर निर्माण के बारे में उन्होंने कहा कि पहले मंदिर निर्माण पूरा तो हो। क्या मंदिर निर्माण पूरा हो गया है। अधूरे मंदिर में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा कैसे हो सकती है। पहले मंदिर निर्माण पूरा हो तब प्राण प्रतिष्ठा हो। पहले भवन बनता है तब उसमें लोग रहने जाते हैं। विश्व गुरु की बात पर उन्होंने कहा कि विश्व गुरु की बात करने वाले संसद भवन का प्रारूप भी विदेश से लेकर आए। हिंदूू राष्ट्र के बारे में उन्होंने कहा कि उसाक स्पष्ट प्रारूप सामने आए कि कैसे उसमें हिंदूओं एवं सनातन धर्म के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाएगा।