अशोकनगर। अशोकनगर जिले के गांवों का हालात बारिश में और भी खराब हो जाते हैं। इतने खराब कि एंबुलेंस तक कई किलोमीटर पहले थम जाती हैं। गंभीर मरीज को एंबुलेंस तक पहुंचाने के लिए उसकी खटिया को चार लोग कांधा देकर ले जाते हैं। वो भी कीचड़ और कांटों से सने रास्ते से होकर।
जानकारी के अनुसार यह स्थिति मुंगावली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले झांसाखेड़ी गांव की है। गांव में लगभग 40 घरों की बस्ती है डेंकन गांव से लेकर झांसाखेड़ी तक कच्चा रास्ता है। गर्मी और सर्दियों के सीजन में तो लोगों को आने-जाने में तकलीफ नहीं होती, लेकिन बारिश आते ही यहां से निकलने वाले लोगों के सड़क का रास्ता के हालत देखकर हाथ पैर फूलने लगते हैं। ऐसे में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसके लिए सिर्फ़ चारपाई से लेकर जाने के अलावा कोई साधन नहीं है। गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर एंबुलेंस रुकती है वहां तक चार लोगों को खटिया पर मरीज को लेटाकर कीचड़ पर चलना पड़ता है।
मंगलवार को गांव की 45 वर्षीय महिला विद्या बाई कुशवाह की अचानक से तबीयत खराब हो गई। उसके पेट में दर्द होने लगा। रास्ते में कीचड़ भरा होने की वजह से मुख्य मार्ग तक ले जाना काफी मुश्किल था, और परिजनों के पास अन्य कोई साधन ना होने की वजह से चार लोग एकत्रित हुए और महिला को खाट पर लेटा कर उसी रास्ते से चल दिए। घुटने तक कीचड़ में लोगों का संभालना भी मुश्किल हो रहा था, साथ ही जगह-जगह कांटे बिखरे हुए पड़े थे। ग्रामीणों ने कलेक्टर से भी उक्त रास्ते की शिकायत की है।
ग्रामीण अनरत सिंह कुशवाहा ने बताया कि उनका गांव ढेंकन पंचायत में लगता है, लेकिन पंचायत के गांव से लगभग डेढ़ किलोमीटर तक अब तक का रास्ता नहीं बना। खेतों के बीच से कच्ची पगडंडी रास्ता है उसी रास्ते से आज भी सभी लोगों को जाना पड़ता है। कोई व्यक्ति बीमार हो जाए तो केवल चारपाई पर रखकर ही पक्की सड़क तक लाते हैं, जिसके बाद अस्पताल पहुंचते हैं। सड़क ना होने के कारण बच्चों की शिक्षा पर भी प्रभाव पड़ा है, वहीं गांव की तरक्की भी रुक गई है। गांववालों ने इसे लेकर कई बार गुहार लगाई है, लेकिन सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिलता।