इंदौर। बाघ का मूवमेंट पता लगाने के लिए वन विभाग अब जंगल छानने में लगा है। बीते 45 दिनों में बार-बार ट्रैप कैमरे की लोकेशन बदलना पड़ रही है। इसके बावजूद बाघ की हलचल महज 5-6 बार कैमरे में कैद हो पाई है। वन अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि बाघ एक जगह जाकर ठहर चुका है। महू रेंज में आने वाले वनक्षेत्र में पंजों और नाखूनों के निशान मिले हैं।
आबादी वाले इलाके की तरफ कई दिनों से बाघ ने रूख नहीं किया है। इसके चलते अंदाजा लगाया है कि बाघ को पर्याप्त भोजन और पानी उपलब्ध है। अधिकारियों के मुताबिक बाघ भले ही जंगल में शिकार कर रहा है, लेकिन ग्रामीणों के मवेशियों को नहीं मारा है। हालांकि वन विभाग मुख्यालय से शिकारियों पर नजर रखने के लिए कहा गया है।
5 मई से इंदौर वनमंडल के महू और मानपुर के जंगलों में बाघ का मूवमेंट बना हुआ है। अब तक बुजुर्ग के अलावा तीस से अधिक पशु व मवेशियों का शिकार हो चुका है। इससे दोनों वनक्षेत्रों में आने वाले गांव में दहशत बनी है। लोगों ने रात में अकेले निकलना बंद कर दिया है। बच्चें भी जंगल की तरफ नहीं जा रहे हैं। मानपुर से दोबारा महू के जंगलों में आने के बाद बाघ ने जगह नहीं बदली है। बड़गौदा-छोटी जाम, बड़ी जाम, मलेंडी के आसपास ही बाघ की मौजूदगी दिखी है।
10 जून के बाद लगातार वन विभाग बाघ की हलचल जानने के लिए नाइट विजन व टैप कैमरे की लोकेशन बदलने में लगा है। कम से कम तीन कैमरों को जंगल में लगा रखा है। फिलहाल कई दिनों से बाघ ने गांव की तरफ आकर कोई मवेशी का शिकार नहीं किया है। अफसर अब अंदाजा लगा रहे हैं कि जंगल वापस अपनी पुरानी टेरटरी में जा चुका है। यह वजह है कि वनकर्मियों को भी सावधानी से जंगल का निरीक्षण करने की सलाह दी है। ग्रामीणों को गांव में संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखने को बोला है।
डीएफओ नरेंद्र पंडवा का कहना है कि बाघ की मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। मगर, कई दिनों से कैमरों में कैद नहीं हुआ है। ऐसा लगता है कि उसे भोजन और पानी के लिए उचित मात्रा मिल चुका है।