मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदिशा लोकसभा से अच्छे मतों से जीतकर सांसद बन गए हैं, अब ख़बरें चल रही है कि संघ जेपी नड्डा को हटाकर शिवराज सिंह चौहान को पार्टी का अध्यक्ष बना रहा है। BJP के विश्वस्त सूत्रों से पता चला है फिलहाल जेपी नड्डा को नहीं हटाया जा रहा है और शिवराज सिंह चौहान को लेकर इस तरह की चर्चा पार्टी में नहीं है… क्योंकि इस वक़्त परिस्थितियां बदली हुई है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह को इस वक़्त भरोसे के लोग चाहिए और शिवराज सिंह पर भरोसा करना ख़तरे से ख़ाली नहीं… पार्टी के कुछ नेता बताते हैं कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था. उस वक़्त लालकृष्ण आडवाणी की लॉबी ने मिलकर लॉबिंग की थी… किस-किस तरीके से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जाए और शिवराज सिंह चौहान को प्रधानमंत्री बनाया जाए। शिवराज सिंह चौहान को हाल ही में नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पद से इसलिए हटाया के शिवराज सिंह चौहान ने अपने 20 साल के कार्यकाल में कई प्रभावशाली नेताओं को खत्म किया… उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार चरम पर रहा। कई सारे घोटाले जिसमें व्यापम ई-टेंडरिंग, मध्यान्ह भोजन, पौधारोपण, अवैध उत्खनन, आबकारी जैसे मामले सामने आए।
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान को अब संघ भी उस तरीके से पसंद नहीं करता है, नरेंद्र मोदी इस वक्त सिर्फ़ अपने क़रीबी और विश्वस्त लोगों पर ही भरोसा करेंगे। शिवराज सिंह चौहान उनके विश्वस्तों की लिस्ट में नहीं आते हैं… क्योंकि मौक़ा मिलते ही शिवराज सिंह चौहान फिर से नरेंद्र मोदी की गद्दी हिलाने में लग जाएंगे। शिवराज सिंह चौहान बहुत बेहतर तरीके से जानते हैं कि राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और पार्टी के कुछ नेता और सांसद नरेंद्र मोदी को पसंद नहीं कर रहे हैं और वह इसका फायदा उठाएँगे। वैसे भी शिवराज सिंह चौहान ऊपर से भले ही नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हैं, लेकिन अंदर से वो नरेंद्र मोदी से नफ़रत करते हैं… क्योंकि लाख प्रयास करने के बावजूद भी शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं रह पाए और केंद्रीय नेतृत्व में उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया। यही कारण रहा कि मध्य प्रदेश में 6 से 7% किरारों ने BJP को वोट ही नहीं किया और वो सीधा संदेश चौहान से ही आया था… अभी तो ये भी तय नहीं है कि शिवराज सिंह चौहान मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा होंगे या संगठन का कोई पद संभालेंगे।
उदाहरण के तौर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या फिर महासचिव बनाया जा सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद डॉ. रमन सिंह और वसुंधरा राजे भी वरिष्ठ उपाध्यक्ष रही है, फिर शिवराज सिंह चौहान को इनसे अलग करके क्यों देखा जाए। ऐसा भी हो सकता है कि नरेंद्र मोदी उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल कर भी लें, लेकिन उन्हें कोई बड़ा विभाग नहीं मिलेगा… क्योंकि सभी जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान अगर दिल्ली में जम गए तो उनकी नज़र सिर्फ़ प्रधानमंत्री पद पर होंगी।
सूत्रों से पता चला है कि शिवराज सिंह की PR टीम इस वक्त शिवराज सिंह चौहान के पक्ष में माहौल बना रही है, जिससे शिवराज सिंह चौहान को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए… लेकिन ये नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी है, वो बहुत बेहतर तरीके से जानते हैं कि उन्हें कब कौन आदमी कितना नुक़सान पहुँचा सकता है। इसलिए मुँह में राम और बगल में छुरी जैसे नेताओं से फ़िलहाल नरेंद्र मोदी और अमित शाह की टीम बहुत सतर्क है, उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणामों ने बता दिया कि नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता अपनी ही पार्टी के कई लोगों नहीं रही है… लिहाज़ा नरेंद्र मोदी अब फूंक-फूंक कर सारे कदम उठाएँगे।