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Friday, September 20, 2024

अयोध्या मंदिर के लिए एक करोड़ देने वाले संत के खाते से निकले 90 लाख, साध्वी ने खुद को बताया उतराधिकारी

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छिंदवाड़ा के कनकधाम आश्रम के महंत कनकबिहारी दास की मृत्यु के बाद उनके बैंक खाते से 90 लाख रुपये हड़पने के मामले में आरोपी साध्वी लक्ष्मीदास की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई है। पुलिस ने कोर्ट में बताया कि रीना रघुवंशी, जो खुद को साध्वी लक्ष्मीदास के नाम से पहचानती हैं, ने महंत के बैंक खाते से 56 लाख रुपये भोपाल के यस बैंक में अपने खाते में ट्रांसफर किए, जबकि बाकी 34 लाख रुपये अपने नजदीकी लोगों के खातों में ट्रांसफर किए गए।

यह मामला तब सामने आया जब 12 जुलाई को कनकधाम आश्रम के पदाधिकारियों ने छिंदवाड़ा के चौरई थाने में साध्वी के खिलाफ पैसे हड़पने की शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की।

महंत कनकबिहारी दास के उत्तराधिकारी श्याम बाबा ने चौरई पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया कि महंत के एसबीआई बैंक खाते में 90 लाख रुपये जमा थे। वर्तमान में इस खाते के उत्तराधिकारी को लेकर न्यायालय में मामला चल रहा है। शिकायत में आरोप लगाया गया कि रीना रघुवंशी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर धोखाधड़ी की और खाते में अपना मोबाइल नंबर दर्ज करवा कर नेट बैंकिंग के जरिए पैसे निकाल लिए। श्याम बाबा भी खुद को महंत कनकबिहारी दास का उत्तराधिकारी मानते हैं, जबकि साध्वी की ओर से एक दस्तावेज़ वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि महंत ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाया था।

महंत कनकबिहारी दास का 17 अप्रैल 2023 को एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया था। उन्होंने अयोध्या मंदिर के लिए 1 करोड़ रुपये का दान भी दिया था। फिलहाल, पुलिस ने रीना रघुवंशी उर्फ साध्वी लक्ष्मी और अन्य आरोपियों के खिलाफ धारा 420 सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

वसीयत को लेकर भी आश्रम और साध्वी के बीच विवाद

साध्वी ने एक वसीयत पेश कर खुद को महंत कनकबिहारी दास का उत्तराधिकारी भी बताया है। आश्रम के पदाधिकारियों का कहना है कि उसकी वसीयत फर्जी है। इसमें उसने खुद को महंत कनकबिहारी की शिष्या और पुत्री बताया है.

हकीकत ये है कि कनकबिहारी दास महाराज की जो हस्तलिखित वसीयत है, उसमें उन्होंने श्यामदास महाराज को अपना उत्तराधिकारी बताया है। श्यामदास महाराज बचपन से ही महंत के साथ रहे हैं। उन्हें 2010 में ही महंत कनकबिहारी का उत्तराधिकारी घोषित किया जा चुका था। ये मामला भी कोर्ट में चल रहा है।

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