मध्य प्रदेश में बाघों की मौत के मामलों की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट ने हंगामा खड़ा कर दिया है। एसआईटी ने 2021 से 2023 के बीच हुई 43 बाघों की मौत की जांच की, जिसमें बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (34 मौतें) और शहडोल वन मंडल (9 मौतें) शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, बाघों की मौत के लगभग 10 मामलों में जांच अपर्याप्त रही। रिपोर्ट में उच्च अधिकारियों और वन रेंज अधिकारियों पर जांच में उदासीनता बरतने का आरोप लगाया गया है। विशेष रूप से, बाघों के शवों से गायब शरीर के अंगों को बरामद करने में भी उदासीनता दिखाई दी। केवल 5 में से 2 मामलों में ही गिरफ्तारी हुई, जहां मौत के अप्राकृतिक कारण पाए गए।
रिपोर्ट ने अफसरों की उदासीनता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बाघों की मौत के कई मामलों में, जहां बाघ बिजली के झटके से मृत पाए गए, वहां मोबाइल फोरेंसिक, सीडीआर, इलेक्ट्रिक ट्रिप डेटा जैसे महत्वपूर्ण सबूतों की जांच नहीं की गई। राजस्व पर जानकारी निकालने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किए गए।
आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने इस रिपोर्ट को चौंकाने वाला खुलासा बताया। उन्होंने कहा कि यह बेहद हैरान करने वाली बात है कि दो साल में 43 बाघों की मौत हो गई और उनकी जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया। दुबे ने हाईकोर्ट का रुख करने की योजना बनाई है और इस रिपोर्ट की कॉपी कोर्ट में दाखिल कर अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे।
इस रिपोर्ट ने मध्य प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। अब देखना होगा कि हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर क्या कार्रवाई होती है और क्या दोषियों को सजा मिलती है।