29.9 C
Bhopal
Tuesday, November 12, 2024

बांग्लादेश में उपद्रवियों ने भारत की दोस्ती की इस पहचान को तोड़ दिया

Must read

डेस्क: लगभग 53 साल पहले, पूर्वी पाकिस्तान का अस्तित्व समाप्त हो गया, और वही क्षेत्र दुनिया के नक्शे पर बांग्लादेश के रूप में उभरा। वहां के लोगों का धार्मिक विश्वास वही रहा, लेकिन उन्होंने अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखा। इस संघर्ष में भारत ने बांग्लादेश का मजबूती से साथ दिया, पाकिस्तान को हराकर एक स्वतंत्र बांग्लादेश का गठन किया। यह इतिहास है। वर्तमान में, बांग्लादेश स्वतंत्र होने के बाद भारत के साथ गहरे संबंध बनाए रखे।

अब, बांग्लादेश में कुछ उत्पाती तत्वों ने हिंदुओं पर हमले किए और उनके पूजास्थलों में तोड़फोड़ की। इसके बावजूद, भारत सरकार और अन्य प्रभावशाली समूहों ने केवल बांग्लादेश सरकार से कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। भारत ने इस मामले में अपने पड़ोसी को चेतावनी भी नहीं दी, इसे भारत की भलमनसाहत के रूप में देखा जा सकता है।

अपनी विरासत को क्यों नष्ट कर रहे हैं
अब खबरें आ रही हैं कि बांग्लादेश में उन मूर्तियों को भी तोड़ा जा रहा है जो देश के मुक्ति संग्राम से जुड़ी हुई हैं। मूर्तियां तोड़ने वालों को यह याद रखना चाहिए कि ये मूर्तियां उनके अपने सम्मान की निशानी हैं। इन्हीं सैनिकों की वजह से पूर्वी पाकिस्तान ने पाकिस्तान से जीत हासिल की थी। एक बार फिर यह याद दिलाना उचित होगा कि 16 दिसंबर 1971 को जनरल नियाजी ने भारतीय जनरल जगजीत सिंह के सामने 93 हजार सैनिकों के साथ हथियार डाल दिए थे। यह दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़े सैनिक समूह का समर्पण था। इस स्मृति में बनाई गईं कई मूर्तियां भी उत्पातियों ने तोड़ दीं।

बांग्लादेश में चीन की रुचि
इन घटनाओं से यह संकेत मिलता है कि बांग्लादेश के इन हालात में चीन, पाकिस्तान और अमेरिका जैसी ताकतें शामिल हैं। सामरिक दृष्टिकोण से ये तीनों देश बांग्लादेश में अपनी पैठ बनाना चाहते हैं। चीन ने अपने उद्देश्यों को साधने के लिए बांग्लादेश में निवेश भी किया है। हालांकि, शेख हसीना की सरकार ने इस स्थिति से कुशलता से निपटते हुए चीन से आवश्यक लाभ हासिल किया है।

अब, बांग्लादेश की वर्तमान सरकार के सामने कानून व्यवस्था कायम रखने और देश की अर्थव्यवस्था को गति देने की चुनौती है। अन्यथा, श्रीलंका की बदतर आर्थिक स्थिति और पाकिस्तान की स्थिति सबके सामने है। इस संदर्भ में, बांग्लादेश को अपने हितों की सुरक्षा के लिए तालिबानी रास्ते से दूर रहना चाहिए। मूर्तियों को तोड़ने और अल्पसंख्यकों पर हमले करने से किसी को कुछ भी हासिल नहीं होगा।

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News

error: Content is protected !!