भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार तबादला नीति को कैबिनेट में पेश करने की तैयारी कर रही है, जिससे पिछले डेढ़ साल से लगी तबादला रोक हटाई जाएगी। अब तबादले प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर होंगे और एक जिले से दूसरे जिले में स्वैच्छिक और प्रशासनिक आधार पर किए जा सकेंगे, लेकिन कुल तबादलों का प्रतिशत 20% से अधिक नहीं होगा।
प्रदेश में पिछले डेढ़ साल से तबादलों पर लगी रोक को मोहन सरकार हटाने की योजना बना रही है। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने तबादला नीति तैयार कर ली है, जिसे विभागीय मंत्री की मंजूरी मिल गई है। अब यह नीति जल्द ही कैबिनेट में पेश की जाएगी, जिसके आधार पर प्रदेश में तबादले किए जाएंगे।
मंत्रियों को सौंपी गई जिम्मेदारी:
इसके पहले राज्य सरकार ने मोहन कैबिनेट के मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा है और अब तबादले प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर ही होंगे। नई तबादला नीति के तहत एक जिले से दूसरे जिले में तबादले के लिए मंत्री की अनुशंसा अनिवार्य होगी।
नई तबादला नीति:
तबादलों से लगी रोक हटाई जाएगी और नई नीति के तहत ट्रांसफर होंगे।
एक जिले से दूसरे जिले में तबादले के लिए प्रभारी मंत्री की अनुशंसा अनिवार्य होगी।
प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर निर्धारित अवधि में ही तबादले किए जा सकेंगे।
किसी भी संवर्ग में 20% से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे।
पिछले वर्ष, 2022 में भी तबादलों पर लगी रोक हटी थी, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनावों के चलते वर्ष 2023 में तबादले नहीं किए गए। अब चुनाव संपन्न हो चुके हैं, और कर्मचारियों के हित में सरकार तबादलों से रोक हटाने जा रही है। नई तबादला नीति के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि तबादले सीमित संख्या में और प्रभारी मंत्री की अनुशंसा के आधार पर ही हों।