भोपाल: राष्ट्रीय पोषण सप्ताह की शुरुआत प्रशासनिक स्तर पर हो गई है, जहां सरकार कुपोषण को खत्म करने और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के दावे कर रही है। लेकिन हकीकत ये है कि राजधानी में लगभग 30 हजार बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं।
जिले के 1.65 लाख बच्चों में से 30 हजार से ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषित हैं। हैरत की बात है कि सरकार पौष्टिक भोजन के लिए गंभीर कुपोषित बच्चों को रोजाना केवल 12 रुपए और 6 साल तक के बच्चों को 8 रुपए देती है। गर्भवती महिलाओं को भी सिर्फ 9.50 रुपए प्रतिदिन मिलते हैं, जिससे पौष्टिक भोजन मिलना असंभव है। आंगनवाड़ियों के जरिए जिले में 1.90 लाख हितग्राहियों को भोजन मुहैया कराया जा रहा है। इसमें 84135 तीन साल तक के बच्चे और 82338 तीन से छह साल तक के बच्चे शामिल हैं।
प्रदेश में 66 लाख बच्चे कुपोषित हैं, जिसमें से 40% बच्चे बौनेपन या मध्यम बौनेपन से पीड़ित हैं। भोपाल में कुल 1872 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 942 के पास खुद का भवन है। पोषण के लिए बच्चों को 8 रुपए में 12 से 15 ग्राम प्रोटीन और 500 ग्राम कैलोरी युक्त भोजन मिलता है,
जबकि गंभीर कुपोषित बच्चों के लिए 12 रुपए में 20 से 25 ग्राम प्रोटीन और 800 कैलोरी युक्त पोषाहार दिया जाता है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने ऑनलाइन पोषण ट्रेकर वेबसाइट भी बनाई है, जिससे बच्चों की पोषण स्थिति की मॉनिटरिंग की जा रही है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रमसिंह के अनुसार, गंभीर कुपोषण को दूर करने की पूरी कोशिश की जा रही है।